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The beauty of the heart of the country ‘MP’… watch the video | मानसून ने बढ़ाई देश के दिल ‘एमपी’ की खूबसूरती: पचमढ़ी ने हरियाली की चादर ओढ़ी; मांडू-पातालपानी भी कम नहीं – Bhopal News

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देश के दिल मध्यप्रदेश पर मानसून जमकर मेहरबान हुआ है। इतना कि जंगल, पहाड़ और मैदान सभी ने हरियाली की चादर ओढ़ ली है। इस बार की बारिश से प्रदेश न सिर्फ तरबतर हुआ बल्कि रिकॉर्ड भी टूटे। कई शहर, गांव टापू बन गए।

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सितंबर के जाते-जाते पूरा मानसून प्रकृति को हरियाली की चादर ओढ़ा गया। हिल स्टेशन पचमढ़ी की वादियों को देखकर आपका मन कह उठेगा ‘वाह’…तो मांडू, पातालपानी भी कम नहीं हैं। ड्रोन से हरियाली की छटा देखते ही बन रही है।

चलिए दैनिक भास्कर के साथ इन्हीं खूबसूरत वादियों में। भोपाल, इंदौर से इनकी दूरी कितनी है, कहां-कैसे पहुंचे…रहने-खाने के क्या इंतजाम है, जानिए सब कुछ…

पचमढ़ी: बारहों महीने खूबसूरत दिखाई देता है सूरज पचमढ़ी को लोग यूं ही पहाड़ों की रानी नहीं कहते। दरअसल, प्रकृति ने इसे इतनी खूबसूरती से नवाजा है कि यहां जो भी आता है, उसके दिल से पचमढ़ी की यादें कभी दूर नहीं होतीं। यह वो जगह है, जहां सूरज 12 महीने खूबसूरत दिखाई पड़ता है। बारिश में खूबसूरती और भी निखर आती है। पहाड़ियों से टपकते झरने, गुफाएं, हरी-भरी वादियां और प्राचीन धार्मिक स्थल लोगों को बांधकर रख लेते हैं।

गांधीसागर डैम: ​​पानी और जंगल में कई स्पोर्ट्स एक्टिविटी चंबल नदी पर पहले पूर्ण मानव निर्मित गांधीसागर डैम के आसपास जंगल है। यहां हरियाली के बीच पानी और जंगल में कई स्पोर्ट्स एक्टिविटी भी होती हैं, जो सबका मन मोह लेती हैं। जब डैम के गेट खुलते हैं तो नजारा देखते ही बनता है। इसका लुत्फ उठाने के लिए यहां सैलानी पहुंचने लगे हैं। 14 अक्टूबर से गांधीसागर फॉरेस्ट रिट्रीट की शुरुआत भी हो रही है।

क्योटी वाटरफॉल: 322 फीट ऊंचाई से गिरता दूधिया पानी ​​​​​​​​​​​​​​ रीवा का प्रसिद्ध क्योटी वाटर फॉल इन दिनों टूरिस्ट की भीड़ से गुलजार है। 322 फीट ऊंचाई से गिरता पानी दूधिया नजर आता है। शनिवार और रविवार को यहां हजारों लोग पहुंचते हैं। रीवा में ही पुरवा वाटर फॉल है, जो पुरवा गांव में है। इसकी ऊंचाई 70 मीटर यानी 230 फीट है।

मांडू: सिटी ऑफ जॉय ​​​​​​​ मांडव यानी मांडू। धार जिले के इस छोटे से नगर को आनंद की नगरी यानी सिटी ऑफ जॉय भी कहते हैं। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और ऐतिहासिक इमारतों की मौजूदगी इसे वास्तुकला का नायाब नमूना बनाती है। मांडू देसी के साथ विदेशी टूरिस्टों की पहली पसंद है।

सांची: दुनियाभर में प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थस्थल सांची बौद्ध धर्म से जुड़ा एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यहां सम्राट अशोक ने कई स्तूप और स्तंभ बनवाए। भारत का चार शेरों वाला राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ यहीं से लिया गया है। सालभर में देश-विदेश के कई यात्री यहां आते हैं।

पातालपानी: यहां प्रदेश की इकलौती हेरिटेज ट्रेन पातालपानी जलप्रपात इंदौर जिले की महू तहसील में है। झरना लगभग 300 फीट ऊंचा है।​​ यहां मध्यप्रदेश की इकलौती हेरिटेज ट्रेन चलती है। ट्रेन पातालपानी के जंगल, वाटर फॉल और कालाकुंड के पहाड़ से गुजरती है। पातालपानी से कालाकुंड की वादियों के ट्रैक को 2018 में हेरिटेज ट्रैक घोषित किया गया था। इसी के साथ प्रदेश की एकमात्र हेरिटेज ट्रेन की शुरुआत हुई थी।

जाम गेट: 1791 में देवी अहिल्याबाई ने बनवाया इंदौर से 50 किमी दूर है जाम गेट। विंध्याचल पर्वतमाला और प्रकृति के सौंदर्य के बीच देवी अहिल्याबाई ने मालवा-निमाड़ के बॉर्डर पर 1791 में इसे बनवाया था। वे इस मार्ग का उपयोग महेश्वर से इंदौर जाने के लिए करती थीं। महेश्वर और इंदौर आने जाने वाले सबसे कम दूरी के रास्ते के बीच में पहाड़ी के मुहाने पर यह गेट इस तरह बनाया गया था कि रास्ते के दोनों तरफ नजर रखी जा सके।

भीमबेटका: विंध्याचल की पहाड़ियों पर 600 गुफाएं भीमबेटका भोपाल से 45 किमी दूर रायसेन जिले में है। यहां करीब 600 गुफाएं हैं, जो विंध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर हैं। भीमबेटका को भीम का निवास भी कहते हैं। साल 2003 में ‘यूनेस्को’ ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था। इसकी खोज 1957 में की गई थी।

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