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Sleep disorders are harmful for the body and relationships | खर्राटे मतलब चैन की नींद नहीं, पैरालिसिस के चांस: नींद के 4 स्टेज, बीमार लोग 2 तक ही पहुंच पाते हैं; आप तो नहीं पीड़ित? – Indore News

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अगर कोई नींद में खर्राटे लेता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि वह चैन की नींद सो रहा है। एक्सपर्ट के मुताबिक, खर्राटे वाली नींद सुकून की नहीं है। इस सिचुएशन में सांस की नली संकरी हो जाती है और हवा का फ्लो रुकने से नींद बार-बार टूटती है। इसे स्लीप एप्निया

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इसे इग्नोर करने से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, पैरालिसिस के चांस बढ़ जाते हैं। देश की 10% आबादी स्लीप एप्निया से पीड़ित है। हालांकि, हर खर्राटे वाले व्यक्ति को जरूरी नहीं कि स्लीप एप्निया ही हो। स्पीप एप्निया के प्रमुख लक्षण हैं- सोते समय सांस का बार-बार रुक जाना, ऑक्सीजन का ड्रॉप होना।

इंदौर में शनिवार – रविवार को साउथ ईस्ट एशियन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन (SEAASM) की कॉन्फ्रेंस हुई। एक्सपर्ट्स ने नींद की बीमारियों और इलाज पर बात की। ‘दैनिक भास्कर’ ने SEAASM के प्रेसिडेंट डॉ. राजेश स्वर्णकार, सेक्रेटरी डॉ. शिवानी स्वामी, ऑस्ट्रेलिया से आए डॉ. हिमांशु गर्ग (स्लीप एंड रेस्पिरेटरी स्पेशलिस्ट) और चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. रवि डोसी से बात की।

पहले जान लेते हैं…

नींद की 4 स्टेज, लेकिन बीमार लोग 2 तक ही पहुंच पाते हैं…

एक्सपर्ट नींद को चार स्टेज में डिवाइड करते हैं। जिन्हें स्लीप डिसऑर्डर होता है, ऐसे लोग दूसरी स्टेज तक ही पहुंच पाते हैं। कौनसी हैं वो चार स्टेज जानिए…

  • पहली स्टेज: दिल की धड़कन और सांस धीमी- जब आप सोना शुरू करते हैं, तो आप पहली स्टेज में होते हैं। यह आमतौर पर कुछ मिनट तक रहता है। इस दौरान दिल की धड़कन और सांस धीमी हो जाती है। मांसपेशियां रिलेक्स्ड होने लगती हैं। मस्तिष्क अल्फा वेव (आराम और ध्यान से जुड़ी होती हैं) और थीटा वेव (हल्की नींद या गहरे विश्राम के दौरान बनती हैं) बनाने लगता है।
  • दूसरी स्टेज: नींद की हल्की अवधि- यह नींद की दूसरी स्टेज है। ये हल्की नींद की अवधि (ड्यूरेशन) होती है। इससे पहले कि आप गहरी नींद में प्रवेश करें, यह 25 मिनट तक रहता है। दिल की धड़कन और धीमी हो जाती है, आंख का कोई मूवमेंट नहीं होता। शरीर का तापमान गिरने लगता है। ब्रेन वेव्स ऊपर और नीचे फैलती हैं। इससे स्लीप स्पिंडल (ब्रेन वेव का स्पेसिफिक पैटर्न) बनता है।
  • तीसरी स्टेज: गहरी नींद की शुरुआत- इसे डेल्टा नींद के रूप में जाना जाता है। आप गहरी नींद में होते हैं। इस दौरान दिल की धड़कन और सांस सबसे धीमी गति से होती है। शरीर पूरी तरह से आराम में होता है। डेल्टा मस्तिष्क तरंगें मौजूद हो जाती हैं। ये तरंगें मन पर शांत प्रभाव डालती हैं।
  • चौथी स्टेज: सबसे गहरी नींद- यह सबसे गहरी नींद होती है। इस दौरान जब आप सो जाते हैं, तेजी से आंखों का मूवमेंट होता है। सांस और हार्ट गति बढ़ जाती है। ब्रेन की भी बढ़ जाती है। हम बहुत गहरी नींद में होते हैं। इसमें सपने आते हैं और अपनी यादों को सहेजने लगते हैं।

क्या है नींद की बीमारियां, क्यों होती हैं?

स्लीपिंग डिसऑर्डर के मुख्य कारण हैं- देर से सोना। देर रात तक डिनर लेना, टीवी, मोबाइल देखते रहना। नींद को लेकर हाइजीन नहीं होना। इन वजहों से स्लीप एप्निया, इनसोमनिया जैसी नींद की बीमारियां हो सकती हैं। इसके कई प्रकार होते हैं।

एक्सपर्ट की सलाह…

स्लीप एप्निया का इलाज मेडिसिन, मशीन और सर्जरी से

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स्लीप एप्निया की जांच के लिए एनआईपी मशीन होती है। यह मास्क के जरिए ऑक्सीजन का प्रेशर बढ़ा देती है। इसके अलावा मेडिसिन भी दी जाती है। ओरल अप्लाइसेंस भी यूज किए जाते हैं। इसकी सर्जरी भी होती है।

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– डॉ. रवि डोसी

सोने से 3 घंटे पहले कर लेना चाहिए डिनर

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स्लीप एप्निया घातक है। सांस का बार-बार रुक जाना, खर्राटे इसके लक्षण हैं। सोने से 3 घंटे पहले डिनर कर लेना चाहिए। डिनर के तुरंत बाद सोने से मेटाबॉलिज्म एक्टिवेट होने में समय लगता है। इससे नींद आने में समस्या होती है। एसिडिटी भी बढ़ जाती है।

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– डॉ. हिमांशु गर्ग

नींद के चारों स्टेज समझना बहुत जरूरी

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कई लोग सोते तो हैं, लेकिन नींद पूरी नहीं हो पाती। इसे समझने के लिए सबसे पहले नींद को समझना बहुत जरूरी है। नींद की कमी से हार्ट, ब्रेन, सांस से संबंधित कई बीमारियों हो जाती है। नींद के चार स्टेज को समझना बहुत जरूरी है।

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– डॉ. राजेश स्वर्णकार

खर्राटे चैन की नींद नहीं, बीमारी है

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खर्राटे को लेकर लोगों में मिथक है कि संबंधित व्यक्ति चैन की नींद सो रहा है। यह बीमारी है। खर्राटे से लाइफ पार्टनर डिस्टर्ब होता है। इससे रिश्तों में दूरियां बढ़ती हैं। नींद के लिए रात को सोते समय पास में कोई गैजेट्स नहीं होना चाहिए।

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– डॉ. शिवानी स्वामी

सपनों को अंधविश्वास से नहीं जोड़ें

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नींद के साथ समझौता नहीं करना चाहिए। इसका असर हार्मोन्स साइकल पर पड़ता है। नींद भी क्वलिटी वाली (पर्याप्त और गहरी) होनी चाहिए। नींद के दौरान व्यक्ति का ब्रेन सब कॉन्शियस होता है। ऐसे में सपने भी आते हैं। इसे अंधविश्वास से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

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– डॉ. प्रतिभा डोगरा

नींद में चलना, बड़बड़ाना भी एक बीमारी

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नींद में बड़बड़ाना, चलना… पैरासोमिया बीमारी के लक्षण होते हैं। नींद के दौरान बॉडी खुद को रिजनरेट करती है। इस बीमारी और इलाज को लेकर डॉक्टरों में भी जागरूकता कम है। लोग इसे अभी सहज लेते हैं। इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में हार्ट, ब्रेन, डायबिटीज के मरीज और बढ़ेंगे।

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– डॉ. वीके सिंह

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