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बुंदेलखंड की लोक कला, संस्कृति, पारंपरिक लोक जीवन, बुंदेलखंड के प्रमुख स्थलों के नामकरण के पीछे की वजह, खान-पान आदि से नई पीढ़ी को रूबरू कराने के लिए सागर के एक बुजुर्ग निशुल्क पुस्तकें उपलब्ध करा रहे हैं। वे अब तक बुंदेलखंड के गांव, कस्बों, शहरों के
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उन्होंने जीवंत विरासत, लोक अदालत और मानवीय मूल्य तथा सर्वेक्षण, संग्रहालय नाम से तीन पुस्तकें लिखी हैं। इन्हें ही वे निशुल्क उपलब्ध करा रहे हैं। अग्निहोत्री बताते हैं मैंने अपनी तीनों पुस्तकों में मूल्य भी अंकित नहीं करवाया है। बिना किसी आर्थिक मदद के निस्वार्थ भाव से जनसेवा के कार्यों में सतत सक्रिय रहना ही मेरा एकमात्र शौक है।
यह तीनों पुस्तकें विद्यार्थियों के लिए विशेष उपयोगी और शिक्षाप्रद हैं। इसीलिए स्कूल, कॉलेज, विवि और बाल बंदी गृह में ही विशेष रूप से भेंट कर रहा हूं। इन किताबों का उपयोग डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के कुछ शोधार्थी भी रेफरेंस के रूप में कर रहे हैं।
महिला सशक्तीकरण, नशा मुक्ति, सड़क सुरक्षा की जानकारी भी
जीवंत विरासत एवं सर्वेक्षण और संग्रहालय नामक पुस्तकों में सत्यम कला एवं संस्कृति संग्रहालय सागर में संरक्षित बुंदेलखंड की लोक कला संस्कृति एवं पारंपरिक लोक जीवन का जीवंत चित्रण है। साथ ही फील्ड भ्रमण के दौरान बुजुर्गों व विशेषज्ञों से मिली जमीनी जानकारी, स्थल नामकरण आदि पर शोध परख लेख हैं।
जो शोधार्थियों के लिए विशेष उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। लोक अदालत और मानवीय मूल्य पुस्तक में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं लोक अदालत का परिचय, उद्देश्य और महत्व के विषय में गद्य एवं पद्य शैली में लिखा गया है, जो आमजन के लिए सहज, सरल और ज्ञानवर्धक है। इसी पुस्तक में बाल अधिकार संरक्षण, बाल अपराध एवं बाल भिक्षावृत्ति की रोकथाम के लिए जन जागृति, महिला सशक्तीकरण, नशा मुक्ति, सड़क यातायात सुरक्षा के साथ-साथ आम जनजीवन में मानवीय मूल्यों की महती आवश्यकता पर केंद्रित शिक्षाप्रद एवं जन उपयोगी जानकारी से युक्त है।
साइकिल से चलते हैं अग्निहोत्री, इसी से घूमकर बना दिया संग्रहालय
दामोदर अग्निहोत्री, वृंदावन वार्ड में ही सत्यम कला एवं संस्कृति संग्रहालय भी संचालित करते हैं। वे साइकिल से चलते हैं। 35 सालों तक साइकिल पर भ्रमण कर उन्होंने संग्रहालय की स्थापना कर ली और उसे अब संचालित भी कर रहे हैं। उनके संकलन को देखते हुए ही कई विशेषज्ञों ने उनसे कहा कि संग्रहालय का ज्ञान उसी तक पहुंच सकेगा जो यहां आएगा, ऐसे में यदि किताबों के माध्यम से बुंदेली वैभव की जानकारी पहुंचाई जाए तो यह ज्यादा सार्थक होगी, इसके बाद उन्होंने तीन पुस्तकें लिख लीं।
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