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Pandit Dhirendra Shastri Clarifies Controversial Remark In Bodh Gaya Says No Intent To Insult Any Religion – Amar Ujala Hindi News Live

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Pandit Dhirendra Shastri Clarifies Controversial Remark in Bodh Gaya Says No Intent to Insult Any Religion

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


‘हवस के पुजारी शब्द का इस्तेमाल क्यों किया जाता है, हवस के मौलवी-पादरी नहीं क्यों नहीं बोला जाता? बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बिहार के बोधगया में दिए इस बयान पर उठ रही आपत्तियों को लेकर स्पष्टीकरण दिया। बोधगया से लौटने के बाद धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि मेरा यह बयान सनातन धर्म के अनुयायियों को जागरूक करने के लिए था, न कि किसी विशेष धर्म को अपमानित करने के उद्देश्य से। उन्होंने कहा कि मैंने सवाल उठाया था कि केवल ‘हवस के पुजारी’ शब्द का ही उपयोग क्यों होता है, ‘हवस का मौलवी या पादरी’ क्यों नहीं हो सकता।  

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मैं किसी धर्म के खिलाफ नहीं

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि मुसलमान अपने मौलवियों का सम्मान करते हैं, लेकिन हिंदू समाज में पुजारियों को अपमानित किया जाता है। उनके बयान पर आपत्ति जताने वालों को उन्होंने नालायक बताया। उन्होंने कहा कि सभी पुजारी गलत नहीं होते, फिर भी उन्हें निशाना बनाया जाता है। शास्त्री ने अपने बयान को सही ठहराते हुए कहा कि वे किसी धर्म के खिलाफ नहीं हैं। उनके बयान से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। अगर, किसी को बुरा लगता है, तो उन्हें लगने दें, लेकिन वे अपने विचार पर अडिग हैं।

वे नालायक हैं, उन्हें ज्ञान नहीं

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि जो लोग मेरे बयान पर आपत्ति कर रहे हैं, उन्हें ज्ञान नहीं है, वे नालायक है। हमने अपने सनातनियों को जगाने के लिए ऐसा कहा था। पुजारी हमारे सनातन धर्म का बड़ा पद है, उनकी पूजा की जाती है। जब हवस का पुजारी हो सकता है तो पादरी और मौलाना क्यों नहीं होता। यह बोल दिया तो लोगों को दिक्कत हो गई। एक नेता हैं अंसादी, उन्होंने कुछ दिन पहले एक बयान दिया था कि साधु-संत को गांजा फूंकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि सब फूंकते हैं।  

अंसारी आतंकी होते हैं…. 

ये सब बेकार की बातें हैं, अब मैं कहूं कि अंसारी तो आंतकी होते हैं, लेकिन सब नहीं होते। उसी तरह हर पुजारी गलत नहीं होता तो सबको टारगेट क्यों किया जाता है। हम किसी मजहब के खिलाफ नहीं है, लोगों को बुरा नहीं मानना चाहिए। अगर, फिर भी किसी को लगता है तो कोई दिक्कत नहीं है। 

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