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सर्व पितृ अमावस्या के अवसर पर आज (बुधवार) को पितरों को विदाई देकर उनका तर्पण किया जाता है। यह दिन उन पितरों के श्राद्ध के लिए भी विशेष महत्व रखता है, जिनकी मृत्यु की तिथि पता नहीं होता है। श्राद्ध कर्म और तर्पण द्वारा पितरों को संतुष्ट किया जाता है।
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इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु बेतवा नदी के घाटों पर पहुंचे और तर्पण करते हुए अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए दान-पुण्य किया। मान्यता है कि श्राद्ध कर्म से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे प्रसन्न होकर पितृ लोक लौट जाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि जो लोग श्राद्ध कर्म नहीं करते, उनके पितर दुखी होते हैं और वंशजों को शाप देते हैं। इसलिए श्राद्ध और तर्पण करना आवश्यक है ताकि पितरों की आत्मा को शांति मिले और वे प्रसन्न रहें।
सर्व पितृ अमावस्या को पितरों के मोक्ष के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन किया गया दान-पुण्य और श्राद्ध कर्म पितरों के आशीर्वाद के साथ-साथ परिवार के कल्याण के लिए भी शुभ माना जाता है।
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