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मध्य प्रदेश वन एवं वन्यप्राणी संरक्षण कर्मचारी संघ ने वनमंत्री रामनिवास रावत और वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव को ज्ञापन सौंपकर वेतन बैंड में दी गई अतिरिक्त राशि वनरक्षकों से वसूल नहीं करने की मांग की है। कर्मचारियों ने बताया कि भर्ती नियम 2000 की अनुस
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संघ के अध्यक्ष रामयश मौर्य ने बताया कि मप्र तृतीय वर्ग अलिपिकीय भर्ती नियम 1967 एवं भर्ती नियम 2001 में वनरक्षकों के वेतनमानों में भिन्नता होने के कारण 6वें वेतनमान में विसंगति निर्मित हुई है। संघ कई साल से वनरक्षकों का एक पद, एक वेतनमान मांग रहा है। विभाग ने 8 सितंबर 2014 को मप्र तृतीय श्रेणी अलिपिकीय वन सेवा भर्ती नियम 2000 में संशोधन किया।जबकि छत्तीसगढ़ शासन ने वेतन विसंगति को देखते हुए 20 जुलाई 2023 को वन विभाग में विभागीय सेटअप स्वीकृति दिनांक 26 मार्च 2003 के बाद नियुक्त समस्त वनरक्षकों का वेतनमान 3050-4590 मान्य किया है।
मौर्य बताते हैं कि वित्त विभाग ने संघ की मांगों को यह कहकर खारिज कर दिया कि प्रशिक्षित वनरक्षक सीधी भर्ती का पद नहीं है। वनरक्षकों की भर्ती मप्र तृतीय श्रेणी अलिपिकीय वन सेवा भर्ती नियम 2000 के आधार पर हुई है। उक्त भर्ती नियम में वनरक्षक के पद के लिए प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित पद का कहीं भी उल्लेख नहीं है। भर्ती नियम की अनुसूची 5 में कनिष्ठ वेतनमान और वरिष्ठ वेतनमान का उल्लेख जरूर है। उन्होंने कहा कि विभाग में यह बड़ी विडंबना है कि एक ही पद के लिए दो वेतनमान हैं। इस कारण 8 सितंबर 2014 के बाद नियुक्त वनरक्षकों को पूर्व से नियुक्त वनरक्षकों से अधिक वेतन मिल रहा है।
कर्मचारियों ने कहा कि यह बड़ी मसला है कि बड़ी संख्या में वनरक्षक रिकवरी के दायरे में आ रहे हैं। इस मुद्दे का पूरा परीक्षण कराकर छत्तीसगढ़ सरकार की तरह सभी वनरक्षकों को 1 जनवरी 2006 से समान लाभ दे दिया जाए। ऐसा करने पर ही यह विसंगति हमेशा के लिए सुधर पाएगी। पीसीसीएफ असीम श्रीवास्तव ने वनरक्षकों की पूरी बात सुनी और 7 दिन बाद फिर से बुलाया है। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि 1 जनवरी 2006 से 5680+1900 का वेतनमान दिलाने के पूरे प्रयास किए जाएंगे।
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