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Indore, the full story of the rape case in which the High Court made a comment | इंदौर HC की टिप्पणी वाले रेप केस की पूरी कहानी: 3 दिन आईसीयू में रही 4 साल की मासूम, नाबालिग आरोपी को बचाने बच्ची के माता-पिता बयान से पलटे – Indore News

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4 साल की बच्ची से रेप के मामले में आरोपी की सजा के खिलाफ दायर अपील को इंदौर हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं हाईकोर्ट बैंच ने नाबालिग अपराधियों के मामले में देश में नरम कानूनों पर अफसोस भी जताया है।

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बच्ची के साथ 17 साल के लड़के ने बर्बरतापूर्वक ज्यादती की थी। बच्ची को घटना के बाद आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा था। निचली अदालत में सुनवाई के दौरान बच्ची के माता-पिता ने अपने बयान तक बदल लिए। जिस नाबालिग लड़के के खिलाफ बच्ची के माता-पिता ने केस दर्ज करवाया था, उन्होंने उसे बचाने की कोशिश की लेकिन कोर्ट ने नहीं माना।

ये तर्क भी दिए गए कि कील से बच्ची को चोट लगी लेकिन मेडिकल रिपोर्ट के सामने ये तर्क नहीं टिके। कोर्ट ने लास्ट सीन की थ्योरी को प्रमाणित माना, जिसमें आखिरी बार पीड़ित बच्ची के साथ नाबालिग लड़के को देखा गया था।

जानिए क्या था पूरा मामला। कैसे बच्ची से रेप करने वाले नाबालिग लड़के को सजा हुई और हाईकोर्ट ने क्या टिप्पणी की है।

पहले हाईकोर्ट की टिप्पणी पढ़ लीजिए

निचली अदालत ने 17 साल के नाबालिग आरोपी को रेप और पॉक्सो एक्ट में 10-10 साल की सजा सुनाई थी। आरोपी की तरफ से फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की गई। जिस पर 11 सितंबर 2024 को हाई कोर्ट जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने फैसला दिया।

हाई कोर्ट ने इस मामले में कहा कि “कोर्ट को एक बार फिर यह टिप्पणी करते हुए दुख हो रहा है कि इस देश में नाबालिग अपराधियों के साथ बहुत नरमी बरती जा रही है। ऐसे अपराधों के पीड़ितों का दुर्भाग्य है कि विधानमंडल ने निर्भया की भयावहता से अभी तक कोई सबक नहीं सीखा।

हालांकि इस देश के संवैधानिक न्यायालयों द्वारा बार-बार ऐसी आवाजें उठाई जा रही हैं, लेकिन पीड़ितों के लिए यह बेहद निराशाजनक है कि वे 2012 में हुए निर्भया कांड के एक दशक बाद भी विधानमंडल पर कोई प्रभाव नहीं डाल पाए हैं।”

8 मई 2019 को आया फैसला, 9 गवाहों का दोबारा क्रॉस हुआ

2 जून 2018 को जिला कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और आरोपी नाबालिग उम्र 17 साल को रेप और पॉक्सो एक्ट में 10-10 साल की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ आरोपी की तरफ से हाईकोर्ट में अपील की गई। 8 जनवरी 2019 को हाईकोर्ट ने दोबारा जिला कोर्ट में 9 गवाहों का क्रॉस (प्रति परीक्षण) करने की अनुमति दी। आरोपी के वकील की तरफ से गवाहों का क्रॉस किया गया और फिर कोर्ट ने 8 मई 2019 को रेप और पॉक्सो एक्ट में 10-10 साल की सजा सुनाई।

ये थी घटना

घटना 29 दिसंबर 2017 की है। बच्ची की मां ने पुलिस को बताया कि मकान मालिक का 17 साल 4 महीने का लड़का रात को 9 से 9.30 बजे के बीच आया और आग जलाकर तापने का बोला। फिर 4 साल की बच्ची को गोद में उठाकर ले गया।

आधे घंटे बाद मकान में रहने वाली अन्य किराएदार महिला ने बच्ची की मां से कहा कि बेटी कहां है। उसके रोने की आवाज आ रही है। मां ऊपर गई और कमरे में देखा की बच्ची बेहोश पड़ी है। पास में मकान मालिक का लड़का खड़ा था।

उससे पूछा कि ‘तूने इसके साथ क्या किया।’ वो कुछ नहीं बोला और भाग गया। मां बच्ची को लेकर अपने कमरे में आई। उसके प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था। मां ने पति को फोन कर बुलाया और घटना की जानकारी दी। परिजन बच्ची को पास के क्लिनिक ले गए जहां डॉक्टर ने रेप होने की बात कही।

इसके बाद परिजनों थाने पहुंचे और पुलिस को सूचना दी। पुलिस बच्ची को लेकर एमवाय अस्पताल गई। यहां डॉक्टरों ने बच्ची का मेडिकल परीक्षण किया। 3 दिन तक बच्ची आईसीयू में भर्ती रही। परिजन उसे घर लेकर आए लेकिन वो सदमे से उबर नहीं पा रही थी। प्राइवेट पार्ट पर गंभीर चोट आई। सूजन थी। बच्ची दर्द से कराहती रही।

आरोपी लड़के को बचाने की कोशिश

क्रॉस में पलटे माता-पिता : मुख्य परीक्षण में बच्ची के माता-पिता ने मकान मालिक के लड़के के द्वारा बच्ची के साथ ज्यादती करने की बात कही थी। लेकिन जब कोर्ट में आरोपी की वकील की तरफ से क्रॉस किया गया तो माता-पिता अपने बयान से पलट गए।

मां ने कहा कि बच्ची अकेली ही छत पर खेलने गई थी। छत पर लकड़ी का सामान, कीलें आदि पड़ी हुई थी। बच्ची के रोने की आवाज सुनी तो छत पर गई। देखा बच्ची बैठी है और रो रही है। उसे खून निकल रहा था। पिता ने कहा कि बच्ची के छत पर गिरने की सूचना पत्नी ने दी थी। मां ने कहा कि रिपोर्ट में सिर्फ ये लिखवाया था कि गिरने से चोट लगी है।

कोर्ट ने ये माना : माता-पिता ने आरोपी लड़के को बचाने के लिए अपने क्रॉस में इस तरह के बयान दिए हैं। बयान बदलने का कोई कारण नहीं है, ऐसे में ये माना जाता सकता है कि उन्हें बचाव पक्ष (आरोपी लड़के) के द्वारा प्रभावित कर लिया गया है। जानबूझकर बयान बदला गया है।

डॉक्टर ने रिपोर्ट में लिखा बच्ची के साथ रेप हुआ

मेडिकल परीक्षण करने वाली डॉ.मोनिका वर्मा ने कोर्ट को बताया कि बच्ची को बेहोश कर उसका मेडिकल परीक्षण किया गया। उसे प्राइवेट पार्ट सहित आसपास चोट लगी थी। दो-तीन दिन तक बच्ची काफी दर्द में रही। डॉक्टर वर्मा ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि बच्ची के साथ बलपूर्वक (जोर जबर्दस्ती) शारीरिक संबंध बनाए गए थे। उसके साथ बलात्कार हुआ था।

बचाव पक्ष ने ये पूछा – डॉक्टर से पूछा गया कि बच्ची को कील लगने से चोट लगी। इस पर डॉक्टर मोनिका वर्मा ने कहा कि कील लगेगी तो एक ही दिशा में लगेगी। बच्ची को कई जगह चोट लगी और उसका पैटर्न भी अलग-अलग था। बच्ची को जो चोटों के पैटर्न के निशान हैं वो सिर्फ रेप के केस में ही आ सकते हैं।

पिता बोले – किराया मांगा इसलिए बेटे को फंसा दिया

आरोपी लड़के के पिता ने कोर्ट में कहा कि घटना के करीब 15 दिन पहले बच्ची की मां से उनका झगड़ा हुआ था। किराया नहीं देने की बात को लेकर कहासुनी हुई थी और मकान खाली करने के लिए कहा था। झगड़े में बेटे ने भी अपशब्द कहे थे।

इसी रंजिश को लेकर बेटे के खिलाफ बच्ची की मां ने दुष्कर्म का आरोप लगा दिया। घटना के समय बेटा उनके साथ था। मकान दो मंजिला है। लेकिन कोर्ट में आरोपी बेटे के पिता ये साबित नहीं कर सके कि किराया कब से बाकी था।

किस महीने का किराया नहीं दिया था। इसके कोई सबूत पेश नहीं किए। तीसरी मंजिल पर टीन शेड है। वहां कोई नहीं रहता है। कबाड़ रखा जाता है लेकिन पुलिस ने मौके पर सोफा और बिस्तर होने की बात रिपोर्ट में लिखी थी।

कोर्ट की टिप्पणी – सजा पर अत्यधिक नरम रुख अपनाना उचित नहीं

कोर्ट ने माना कि नाबालिग बालक ने पूरे होशो-हवास में अपराध की प्रकृति और उसके परिणाम को समझते हुए मासूम बच्ची के साथ बलात्कार किया और उसे चोट पहुंचाई। ऐसी स्थिति में कोर्ट बालक के प्रति अत्यधिक नरम रुख अपनाना उचित नहीं पाता है। 21 साल की उम्र तक बालक को विशेष गृह बालक भेजा जाए और फिर जेल भेज दिया जाए।

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