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Those who stole after making reservation in AC coach were arrested | एसी कोच में रिजर्वेशन कराकर चोरी करने वाले गिरफ्तार: बैग की क्वालिटी देखकर उसमें रखे सामान का लगाते थे अनुमान – Bhopal News

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जीआरपी ने ट्रेनों के एसी कोच में रिजर्वेशन कराकर चोरी करने वाले गिरफ्तार किया है। आरोपी पटना बिहार के तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर 17 लाख 52 हजार रुपए का माल बरामद किया है। आरोपियों ने करीब एक माह पूर्व पनवेल गोरखपुर एक्सप्रेस के एसी कोच में सफर कर रह

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जीआरपी के मुताबिक मूलरूप से नायडू कॉलोनी घाटकोपर मुंबई निवासी दीनदयाल नागरिया (31) कारोबारी हैं। विगत 30 अगस्त को वह पनवेल गोरखपुर एक्सप्रेस के ए टू कोच में परिवार के साथ कल्याण से झांसी के लिए सफर कर रहे थे। भोपाल से विदिशा पहुंचने पर दीनदयाल नागरिया को पता चला कि उनका ट्राली बैग चोरी हो चुका है। उन्होंने जीआरपी झांसी में शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि उनके ट्राली बैग में सोने की चार चूडियां और 10 ग्राम का सोने का सिक्का समेत करीब 15 लाख रुपए का सामान रखा था।

ऐसे आरोपियों तक पहुंची पुलिस

झांसी से डायरी आने के बाद जीआरपी रानी कमलापति ने असल पर प्रकरण दर्ज कर विवेचना शुरू की। मामले का खुलासा करने के लिए जीआरपी रानी कमलापति व जीआरपी भोपाल की संयुक्त टीम बनाई गई। विवेचना के दौरान सीसीटीवी कैमरों के फुटेज और रिजर्वेशन चाट भी देखा गया। टीम को तीन यात्रियों पर संदेह हुआ। तीनों की पहचान प्रमोद कुमार, सोमू कुमार और मोनू तीनों निवासी पटना बिहार के रूप में की गई।

तीनों के मोबाइल की सीडीआर निकलवाने के अलावा पब्लिक स्विच्ड टेलिफोन नेटवर्क (पीएचटीएन) की जानकारी भी जुटाई गई। जांच में पता चला कि तीनों संदेहियों का एक्सप्रेस के बी-5 में रिजर्वेशन था। संदेह के आधार पर पुलिस ने तीनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की।

ऐसे करते थे टारगेट सेट

पूछताछ के दौरान आरोपियों ने उक्त वारदात को अंजाम देना कुबूल कर लिया। जीआरपी ने बताया कि आरोपी प्रमोद कुमार, सोमू कुमार और मोनू पर पूर्व में भी चोरी के प्रकरण दर्ज हैं। तीनों आरोपी लंबे टूर पर ट्रेन में सफर करते थे। जिस कोच में आरोपी अपना रिजर्वेशन कराते थे उस कोच में वारदात को अंजाम नहीं देते थे।

अन्य कोच में वारदात करते थे। बदमाश बैग की क्वालिटी देखकर अंदर के सामान का अनुमान लगाकर बैग चुरा लेते थे। रिजर्वेशन चाट की जानकारी से बचने के लिए आरोपी कई बार जनरल टिकट लेकर ट्रेन में सवार होते थे और टीटीई के जरिए एसी का टिकट बनवा लेते थे।

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