[ad_1]
“कार्य पर मन लगाओ, न कि उसके फल पर” — यह भगवान श्रीकृष्ण के भगवद गीता में दिए गए उपदेश का सार है, जो हमें सिखाता है कि कर्म करना ही हमारा धर्म है, और उसके परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए। इसी आदर्श को मानते हुए, सागर पब्लिक स्कूल, रातीबड़ के प्रांगण
.

इस पावन अवसर की शुरुआत कक्षा केजी-द्वितीय के सागराइट्स द्वारा श्लोक पाठ से हुई। नन्हे-मुन्ने बच्चों के द्वारा उच्चारित श्लोकों ने पूरे वातावरण को पवित्रता और भक्ति से भर दिया। उनके भोलेपन और समर्पण ने सभी का मन मोह लिया और इस आध्यात्मिक माहौल को और भी सुशोभित कर दिया। इसके बाद, कक्षा द्वितीय के सागराइट्स ने आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया। उनके चेहरों पर झलक रही खुशी और जोश से कृष्ण आनंद झलक रहा था । कक्षा छठी के सागराइटस ने भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और जन्माष्टमी के महत्व पर संक्षिप्त और प्रभावशाली भाषण दिया। भगवान कृष्ण के जीवन की प्रमुख घटनाओं जैसे कंस वध, महाभारत का युद्ध, और गीता के उपदेश का उल्लेख किया।

कार्यक्रम का समापन शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत भजन गायन के साथ हुआ। भजनों की मधुर ध्वनि ने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया और सभी भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन हो गए। इस जन्माष्टमी उत्सव ने छात्रों और शिक्षकों को भगवान कृष्ण के जीवन और उपदेशों से अवगत कराते हुए, उन्हें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का एक सुनहरा अवसर प्रदान किया। अंत में भगवान श्रीकृष्ण का उपदेश — ‘कर्म करो, फल की चिंता मत करो’ — इस उत्सव के माध्यम से सभी ने अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया।
[ad_2]
Source link

