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Law student created cyber fraud gang | लॉ स्टूडेंट ने बनाया साइबर फ्रॉड का गैंग: कार बिकवाने का टास्क देकर महिला से ₹39 लाख ठगे; डिलीवरी बॉय बनी पुलिस, 7 को पकड़ा – Guna News

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यूपी की महिला से 39 लाख रुपए की साइबर ठगी करने वाले 7 आरोपी एमपी से पकड़े गए हैं।

ऑनलाइन कार बिकवाने का टास्क देकर यूपी की महिला से 39.15 लाख रुपए की साइबर ठगी करने वाले 7 आरोपी एमपी से पकड़े गए हैं। वाराणसी पुलिस ने 700 किलोमीटर दूर गुना आकर आरोपियों को पकड़ा। सभी गुना में बैठकर साइबर क्राइम को अंजाम दे रहे थे। गैंग के दो मास्टरमा

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यूपी पुलिस को पता था कि गैंग का मास्टरमाइंड कमलेश किरार ऑनलाइन सामान मंगाता है। 21 अगस्त को भी कमलेश ने सामान मंगवाया। पुलिस डिलीवरी बॉय के पास पहुंची। उसके पास सामान का जो बैग था, उसे यूपी पुलिस के एक कॉन्स्टेबल ने लिया और डिलीवरी बॉय को साथ लेकर गया। जैसे ही कमलेश से सामान लिया, टीम ने उसे धर दबोचा।

पहले मामला जान लीजिए…

वाराणसी के अस्सी घाट की रहने वाली संभावना त्रिपाठी ने 18 दिसंबर 2023 को वहां के साइबर क्राइम पुलिस थाने में शिकायत की। आरोपियों ने उन्हें वेबसाइट www.socardata.com के जरिए कार बुकिंग्स का प्रचार करने के बदले मोटा कमीशन कमाने का लालच दिया।

संभावना की FIR के मुताबिक, ‘उनसे कहा गया कि अपनी बैंक डिटेल्स प्लेटफॉर्म (वेबसाइट) पर लिंक कर आखिर में पैसा निकाला जा सकता है। पहले से प्लेटफार्म के ई-वॉलेट में 10 हजार पॉइंट्स थे। मेरे काम करने के बाद ये बढ़कर 10757 हुए।

10 हजार पॉइंट्स वापस हो गए और मुझे 757 रुपए बैंक खाते में मिले। एजेंट ने कहा कि अगली बार 10 हजार रुपए डालने पड़ेंगे। कमीशन के साथ ये रकम आपके खाते में आ जाएगी। मैंने 10 हजार रुपए डाल दिए। मुझे 17531 रुपए खाते में मिले, फिर 27123, 45717 रुपए मिले।

मैंने और पैसे डाले, 61608 रुपए मिले। अब एजेंट ने मुझसे कहा कि प्रीमियम बुकिंग्स के लिए ज्यादा कमीशन मिलता है। धीरे-धीर कर मैंने 39.15 लाख रुपए डाल दिए। ई-वॉलेट में 11,19,786 रुपए शो हुए। मैंने निकालना चाहा, तो रकम नहीं निकली।’

पकड़े गए आरोपियों के पास से कई महंगे मोबाइल, सिम और ATM कार्ड मिले हैं।

पकड़े गए आरोपियों के पास से कई महंगे मोबाइल, सिम और ATM कार्ड मिले हैं।

पुलिस आरोपियों तक ऐसे पहुंची…

5 दिन गुना में डेरा डाले रही यूपी पुलिस
यूपी पुलिस ने ठगी के लिए इस्तेमाल की गई वेबसाइट, टेलीग्राम अकाउंट्स और बैंक खातों की डिटेल की जांच की। इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और डिजिटल फुट प्रिंट पर जांच शुरू की। आरोपियों की लोकेशन गुना में मिल गई। वहां के डीसीपी क्राइम चंद्रकांत मीणा ने एक टीम गुना भेज दी।

यूपी पुलिस की टीम को गैंग के सरगना कमलेश किरार की तलाश थी। गुना कोतवाली पुलिस भी यूपी पुलिस के साथ उसे ढूंढ़ने में जुटी थी। पता चला कि कमलेश अक्सर ऑनलाइन सामान मंगाता है। अब पुलिस ने यह पता किया कि भार्गव कॉलोनी और फुलवारी कॉलोनी में कौन डिलीवरी बॉय जाता है।

21 अगस्त को कमलेश ने सामान मंगवाया। पुलिस डिलीवरी बॉय के पास पहुंची। उसके पास जो सामान का बैग था, उसे यूपी पुलिस के एक आरक्षक ने अपने कंधे पर टांगा। असली डिलीवरी बॉय को एक आरक्षक की बाइक पर बैठा दिया। वह कमलेश से एड्रेस पूछते हुए फोन पर लगातार बात कर रहा था।

कमलेश ने उसे लोकेशन बताई, वह उस एड्रेस पर पहुंच गया। वहां जाकर कमलेश को बाहर बुलाया। पार्सल देने के लिए उससे ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) पूछा। बैग टांगे हुए आरक्षक ने उसे पार्सल दिया। जैसे ही उसे पार्सल दिया गया, पुलिस की दूसरी टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया। घर में जांच की तो महंगे फोन, कई सिम और एटीएम कार्ड मिले। बाकी साथी भी पकड़े गए।

ब्रांडेड कंपनी की वेबसाइट से मिलती-जुलती वेबसाइट बनाते थे
डीसीपी क्राइम चंद्रकांत मीणा के मुताबिक, आरोपी ब्रांडेड कंपनियों की ओरिजिनल वेबसाइट से मिलती-जुलती वेबसाइट बनाते। इसके बाद बल्क SMS फीचर का इस्तेमाल कर एक साथ हजारों लोगों को पार्ट टाइम जॉब का मैसेज करते।

जब कोई व्यक्ति इनके झांसे में आ जाता, तो पहले ये छोटी-छोटी रकम उसके खाते में डालते। इसके बाद अपनी वेबसाइट और टेलीग्राम ग्रुप्स में जोड़ देते। यहां इनके ही बनाए हुए सिंडिकेट्स उनके खातों में बड़ी रकम आने का स्क्रीन शॉट डालते। इससे लोग लालच में पूरी तरह इनके झांसे में आ जाते।

इसके बाद आरोपी इन्वेस्टमेंट के अलग-अलग प्लान बताकर अपनी कंपनी के बैंक खातों में पैसे डलवाते। यह पैसा उस कंपनी की फर्जी वेबसाइट पर यूजर के अकाउंट में दिखता। इन्वेस्टमेंट का फायदा भी दोगुना, तीन गुना दिखता। इससे लोग और भी विश्वास में आकर बड़ी रकम इन्वेस्ट करते जाते।

बाद में जब लोग अपना पैसा निकालना चाहते, तो पैसा निकलता ही नहीं। क्योंकि यह पैसा साइबर अपराधियों द्वारा लोगों को अपने झांसे में लेने के लिए फ्लैश अमाउंट दिखाया जाता है, जो वास्तव में होता ही नहीं।

चीन, थाईलैंड, कंबोडिया का आईपी एड्रेस करते हैं इस्तेमाल
साइबर क्रिमिनल विदेशों के आईपी एड्रेस पर काम करते थे। ये चाइना, सिंगापुर, थाईलैंड, कम्बोडिया और दुबई का आईपी एड्रेस इस्तेमाल करते। इसके पीछे इनका मकसद होता था कि इनकी पहचान छुपी रहे और पुलिस की पहुंच से दूर रहें।

इस तरह ये रकम एपीआई/कॉर्पोरेट बैंकिग में बल्क ट्रांसफर के जरिए महज कुछ सेकेंड के अंदर ही फर्जी गेमिंग ऐप के हजारों यूजर्स के बैक खातों और अपने बनाए सिंडिकेट के बैंक खातों में भेज देते। बाद में अलग-अलग तरीके से पैसा निकाल लिया जाता।

गैंग का सरगना कमलेश किरार पोस्ट ग्रेजुएट है।

गैंग का सरगना कमलेश किरार पोस्ट ग्रेजुएट है।

जितेंद्र और कमलेश हैं गैंग के मास्टरमाइंड
पकड़े गए आरोपियों में से जितेंद्र अहिरवार और कमलेश किरार दोनों मुख्य सरगना हैं। ये दोनों ही पूरी गैंग ऑपरेट कर रहे थे। कमलेश पोस्ट ग्रेजुएट है। वहीं, जितेंद्र ग्रेजुएट है। वर्तमान में जितेंद्र कानून की पढ़ाई कर रहा है। वह LLB फर्स्ट सेमेस्टर में है। दूसरे आरोपियों में कोई भी 12वीं से ज्यादा नहीं पढ़ा है।

बाकी आरोपी इनके लिए अकाउंट, पासबुक, एटीएम, चेकबुक की व्यवस्था करते थे। इसके लिए उन्हें कुछ कमीशन मिलता था। जिनके खाते होते थे, उन्हें भी शुरुआत में ही कुछ पैसे देकर उनसे खाते की सारी जानकारी जैसे पासबुक, एटीएम, चेकबुक ले ली जाती थी।

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