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विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा गुरुवार को आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान ऑनलाइन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा संबोधित किया गया। सम्मेलन में अधिकांश लोग बाहर से आए थे। खास बात यह थी कि आयोजन में विक्रम विश्वविद्यालय के गिनती के शिक्षकों के अला
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विक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्ण जंयती सभागृह में गुरूवार को सुबह भारत में पुस्तकालय व्यवसाय में विक्रम विश्वविद्यालय के प्रथम विजिटिंग प्रो. डॉ. एसआर रंगनाथन के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में बदलती शिक्षा और सामाजिक संरचना में पुस्तकालयों के लिए अवसरों और चुनौतियों पर केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने ऑनलाइन जुड़कर संबोधन दिया। अतिथि के रूप में संभागायुक्त संजय गुप्ता, कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, डॉ. बीआर अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के डीन एवं एसएलए एशिया कम्युनिटी के अध्यक्ष प्रो. एमपी सिंह, कुल सचिव डॉ अनिल शर्मा, प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा, प्रो. सोनल सिंह थे। अध्यक्षता कुलगुरू प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने की।
कुलगुरू के निर्देश के बाद भी यह स्थिति-
स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजन के दौरान केवल प्रदेश के अन्य क्षेत्र से आए प्रतिभागियों के अलावा विश्वविद्यालय के अधिकांश शिक्षक और अतिथि शिक्षकों की मौजूदगी नही दिखी। जिसके कारण 500 लोगों की बैठक क्षमता वाले हॉल में मात्र 100 से 150 लोग लोगों की उपस्थिति में कार्यक्रम आयोजित हुआ। हालांकि विक्रम विश्वविद्यालय में इस तरह के बड़े आयोजनों में शिक्षकों की उपस्थिति नही होने की स्थिति पहली बार नही बनी है। शिक्षकों के उपस्थित नही होने के पीछे कारण जानने पर एक विभाग अध्यक्ष ने बताया कि इस तरह के आयोजन के दौरान भी शिक्षक आपसी विवाद के चलते स्वयं तो दूरी बनाते है। दूसरों को भी रोक लेते है। वहीं अतिथि शिक्षक 35 से 50 हजार रूपए वेतन की मांग तो कर रहे है, लेकिन विश्वविद्यालय के आयोजनों में नही पहुंचते है। यह तो अच्छा है कि मुख्यमंत्री कार्यक्रम से ऑनलाइन जुड़े थे, यदि मुख्यमंत्री की उपस्थिति में कार्यक्रम होता और इस तरह की शर्मनाक संख्या होती तो ज्यादा बदनामी हो जाती। बताया गया कि कुलगुरू ने बैठक लेकर सभी को अध्ययनशाला के विद्यार्थियों के साथ उपस्थिति होने के निर्देश दिए थे, लेकिन किसी ने पालन नही किया। इसलिए यह स्थिति बनी।

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