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Unique tradition on Bhujaria festival, immersion of Bhujarias after breaking coconut with a gun. | बंदूक से नारियल फोड़ने के बाद भुजरियां का विसर्जन हुआ: विदिशा के झूकरजोगी गांव में वर्षों से चली आ रही यह अनोखी परंपरा – Vidisha News

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रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाए जाने वाले भुजरियां पर्व को विदिशा के झूकरजोगी गांव में अनूठे तरीके से इस पर्व को मनाते हैं। भुजरिया पर्व पर गांव के मैदान में महिलाओं का समूह भुजरियों को रखकर नाच गाने के साथ सामूहिक लहंगी नृत्य करती हैं, तो दूसरी ओर कई लो

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भुजारिय पर्व के अवसर पर झूकरजोगी गांव में भुजारियों के जुलूस में बंदूक लिए लोग शामिल होते हैं, महिलाएं अपनी-अपनी भुजरिया लेकर जुलूस में शामिल होती हैं। जुलूस जब हनुमान जी के मंदिर पहुंचता है तो वहां मैदान में भुजारियों को रखा जाता है, महिलाओं का समूह भुजरियों को रखकर परिक्रमा करती हैं। नाच गाने के साथ सामूहिक लहंगी नृत्य करती हैं। इसके बाद निशानेबाजी होती है। इस निशानेबाजी प्रतियोगिता में गांव के लोग भाग लेते हैं, पेड़ पर ऊंचे स्थान पर एक नारियल को लटकाया जाता है, लोग बंदूक से नारियल पर निशाना लगाते हैं और जब बंदूक की गोली से नारियल फूट जाता है। उसके बाद भुजारियों का विसर्जन होता है।

बताया गया इस निशाने बाजी की प्रतियोगिता में गांव के लगभग कई लोगों ने अपनी लाइसेंसी बंदूक के साथ शामिल हुए और निशाना लगाने की कोशिश की, इस दौरान चार दर्जन से ज्यादा राउंड फायर हुए।

कहते हैं कि गांव में भुजरियां तब तक उस स्थान से नहीं उठती, जब तक कि बन्दूक की गोली से पेड़ के ऊपर बंधा नारियल गिर न जाए। जिसके लिए गांव के कई निशानेबाज अपने निशानेबाजी की आजमाइश करते हैं और नारियल को फोड़कर इस परंपरा को निभाते हैं।

गांव वाले कहते हैं इस गांव की यह परम्परा सदियों से जारी है, वर्षों पहले यह परंपरा हाथी घोड़े तथा ऊंटो पर बैठकर हथियारों के साथ निभाई जाती थी, लेकिन संसाधनों के आभाव और समय के साथ-साथ इस परंपरा में बदलाव होते चले गए, फिर भी इस परंपरा को लोगों ने जीवित रखने के लिए पूरा प्रयास किया है और आज भी इस परंपरा को निभाने के लिए बन्दूक से निशानेबाजी की प्रतियोगिता, लहंगी नृत्य के साथ इस परम्परा को निभाया जाता है।

इस दौरान गांव के सभी बन्दूक धारी मौजूद रहते हैं, यहां पर कोई बंधन नहीं रहता, कोई भी निशानेबाजी प्रतियोगिता में शामिल होकर नारियल फोड़ सकता है।, नारियल फोड़ने वाले को गांव के सरपंच इनाम में नगद राशि देते हैं। वही बुजुर्गों ने बताया कि उनका गांव जंगल में है और पहले डाकुओं का डर रहता था, भुजरियां के जुलूस में महिलाएं जेवर पहनकर आती थीं, तो सुरक्षा के लिए बंदूक लिए लोग जुलूस में चलते थे और जब से ही बंदूक से निशाना लगाकर नारियल फोड़ने की परंपरा चली आ रही है।

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