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बालाघाट में राजस्व महाभियान की समीक्षा करते कलेक्टर और अपर कलेक्टर (फाइल फोटो)
प्रदेश के सभी जिलों में साइबर तहसील व्यवस्था लागू होने के बाद अब आरसीएमएस पोर्टल में प्रकरण रिजेक्ट करने का ऑप्शन नहीं रहेगा। तहसील दफ्तर में आने वाले सभी प्रकरण दर्ज आरसीएमएस में दर्ज होंगे। तहसीलदार सुनवाई के बाद ही आरसीएमएस में रजिस्टर किए गए प्रक
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प्रमुख सचिव राजस्व निकुंज श्रीवास्तव ने सभी कलेक्टरों और राजस्व अधिकारियों से इसका पालन कराने को कहा है। साथ ही, उन्होंने संपदा पोर्टल, डिजिटल सर्वे के लिए सर्वेयरों की नियुक्ति तथा रोजगार सहायकों से ई-केवाईसी कराने के संबंध में भी निर्देश दिए। प्रमुख सचिव ने कहा कि साइबर तहसील के माध्यम से राजस्व प्रकरणों के निराकरण में तहसीलदार और पटवारी दोनों को बहुत सहूलियत होगी। प्रमुख सचिव ने कहा कि सभी कलेक्टर और एसडीएम तहसीलों का निरीक्षण करें।
पीएस श्रीवास्तव ने दिया कलेक्टरों को प्रशिक्षण
पिछले दिनों प्रमुख सचिव राजस्व निकुंज श्रीवास्तव ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से साइबर तहसील-2.0 के संचालन के संबंध में प्रशिक्षण दिया। प्रमुख सचिव ने कहा कि पूरे प्रदेश में साइबर तहसील व्यवस्था लागू कर दी गई है। इसमें अविवादित नामांतरण के प्रकरण 20 दिनों में निराकृत हो रहे हैं। जमीन का बंटवारा होने के बाद सभी कार्यवाही ऑनलाइन पूरी की जा रही हैं। पक्षकारों को मोबाइल नम्बर तथा ईमेल के माध्यम से कार्यवाही की जानकारी दी जा रही है।
बटांकन के लिए पक्षकारों की सहमति जरूरी
राजस्व अधिकारियों को बताया गया कि राजस्व न्यायालयों में प्रकरण के संबंध में ई माध्यम से ही पक्षकार आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। पटवारी सारा पोर्टल में वेबजीईएस से ड्राफ्ट नक्शे तैयार कर ऑनलाइन नामांतरण के प्रतिवेदन दे रहे हैं। इसमें यदि नक्शे में बटांकन करना है तो सभी पक्षकारों की सहमति होना आवश्यक है। बंटवारा और नामांतरण होने के साथ ही साइबर तहसील के माध्यम से आदेश का अमल हो जाएगा। इसके लिए अलग से केस फाइल तैयार करने और आदेश जारी करने की आवश्यकता नहीं होगी।
हर साल आठ लाख नामांतरण हो सकेंगे
उधर संपदा 2.0 लागू होने के बाद जमीन की खरीदी बिक्री के बाद नामांतरण और अन्य दस्तावेज, खसरा, नक्शा ऑनलाइन एसएमएस, इमेल और व्हाट्सअप पर घर बैठे मिलेंगे। पहले किसी के नाम वाली सम्पूर्ण खसरा की जमीन खरीदी-बिक्री की प्रक्रिया ऑनलाइन थी। अब आंशिक खसरा खरीदी-बिक्री भी ऑनलाइन प्रक्रिया से जोड़ दिये गये हैं। एक वर्ष में आमतौर पर पूरे खसरे के खरीदी और बिक्री के लगभग 2 लाख और आंशिक खसरा वाली भूमि खरीदने और बेचने के लगभग 6 लाख प्रकरणों का नामांतरण होता है। अब आंशिक खसरा वाली भूमि बेचने और खरीदने के प्रकरणों का भी ऑनलाइन नामांतरण होने से हर साल लगभग 8 लाख से अधिक नागरिक लाभांवित होंगे।
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