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Mp News Kila Panchayat In Sudhurvarti Village Of Tikamgarh Run By Goons Inspite Of Having Female Sarpanch – Amar Ujala Hindi News Live

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MP News Kila Panchayat in Sudhurvarti Village of Tikamgarh Run by Goons Inspite of Having Female Sarpanch

किला पंचायत
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


टीकमगढ़ जिले के अंतर्गत पलेरा जनपद पंचायत की एक ग्राम पंचायत है बारी, इस ग्राम पंचायत की सरपंच है भुमानी बाई आदिवासी। जब से वह सरपंच बनी है, तब से उन्होंने ना तो जनपद पंचायत गई हैं और ना ही कभी ग्राम पंचायत भवन गई है, सुनकर आपको अजीब लग सकता है, लेकिन हकीकत है उस बुंदेलखंड की जहां पर आज भी दो तरह की समाज है शोषक और शोषित।

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आदिवासी महिला सरपंच बताती है कि जब से वह सरपंच का चुनाव जीतीं हैं, इसके बाद उन्होंने किसी भी सरकारी कार्यालय का मुंह नहीं देखा है। ग्राम पंचायत के सचिव और रोजगार सहायक सिर्फ उनके पास हस्ताक्षर कराने के लिए आते हैं। सरपंच कहती हैं कि मुझे नहीं पता है कि ग्राम पंचायत में कितने विकास कार्य चल रहे हैं और विकास कार्य में सरकार द्वारा कितनी राशि दी गई है।

महिला आदिवासी सरपंच के निवास की आप तस्वीर देखेंगे तो सोचने को बेबस हो जाएंगे। क्योंकि जिसको प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत करने का अधिकार है, लेकिन उसे खुद रहने के लिए पॉलिथिन के मकान में रहना पड़ रहा है। सरपंच भूमानी कहती हैं कि उनकी स्थिति दयनीय है। जब बेटे मजदूरी करके लाते हैं तब उनके घर में चूल्हा जलता है। उन्हें शासकीय उचित मूल की दुकान से 5 किलो गेहूं भी नहीं मिलता है। क्योंकि जब वह सरपंच बनी तो उनका राशन कार्ड से नाम काट दिया गया। रोजगार सहायक पूरी सरपंची चल रहा है और सरपंच अपने अधिकारों से वंचित हैं। अभी कुछ दिन पूर्व भी विधानसभा में पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल ने संकेत दिए थे कि पति नहीं महिलाएं ही आत्मनिर्भर होगी और वह पंचायत का सारा कारोबार देखेंगे, लेकिन इस साल बाकी महिला सरपंच के मामले में ऐसा नहीं है। 

कच्चा और पॉलीथिन का निवास 

यह ग्राम पंचायत की सरपंच भुमानी बाई आदिवासी का निवास है जरा आप इसको गौर से देखिएगा छप्पर का कच्चा मकान बना हुआ है, लेकिन उनके पास छप्पर को भी ठीक करने के लिए पैसे नहीं है। बरसात के मौसम में घर में पानी आता है, इसलिए उन्होंने पॉलिथिन लगा ली है। इसी तरह उनके खाने के लाले पड़े हैं। सरपंच कहती है कि जब उनकी बेटे मजदूरी करके पैसा लाते हैं, तब उनके घर में चूल्हा जलता है और रोटी बनती है। सबसे बड़ी विडंबना है कि टीकमगढ़ जिले के आल्हा अधिकारियों को भी इसकी जानकारी है, लेकिन कोई कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है, क्योंकि रोजगार सहायक और सचिव सत्ता से जुड़े हुए लोगों के करीबी बताई जा रहे हैं।

पंचायती राज अधिनियम क्या है 

भारत के संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम 1992 के अनुरूप प्रदेश में मध्य प्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1993 25 जनवरी 1994 को लागू किया गया था, जिसमें त्रिस्तरीय पंचायती राज की व्यवस्था की गई थी। सबसे पहले ग्राम पंचायत इसके बाद जनपद पंचायत और जिला पंचायत प्रमुख है, लेकिन टीकमगढ़ जिले में ऐसा नहीं है। यहां पर दलित और आदिवासी सरपंच जो चुने जाते हैं।

उनकी पंचायत किला से चलती है, यानी की दबंग संचालित करते हैं। जबकि भारत सरकार ने पेसा एक्ट लागू करके संविधान की पांचवी अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को अधिकार संपन्न बनाकर प्रशासन का अधिकार दिया है, जिससे स्थानीय जनजातीय के जल जंगल और जमीन पर अधिकार और संस्कृति का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। इस कानून को भी मध्य प्रदेश में लागू किया गया है, लेकिन आदिवासियों के हक के लिए लागू किए गए इस कानून का कोई असर नजर नहीं आ रहा है।

अधिकारी बोले करेंगे कार्रवाई

जनपद पंचायत पलेरा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सिद्ध गोपाल वर्मा ने दूरभाष पर बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है और उन्होंने सोमवार की सुबह से टीम ग्राम पंचायत भेजी है, इसके साथ ही मंगलवार को मैं स्वयं वहां पर जाकर के जनसुनवाई करूंगा। उन्होंने कहा कि अगर इस तरह का मामला जांच में सही पाया जाता है तो सचिव और रोजगार सहायक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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