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शहर में जब ग्रीन कॉरिडोर बनता है तब एमजीएम मेडिकल कॉलेज वार रूम में तब्दील हो जाता है। हम लोग हर पल के अपडेट लेते हैं। जहां ऑर्गन पहुंच रहा है, उसकी डिमांड अनुसार ऑर्गन को सहेजने का जतन करते हैं। अधिक संघर्ष हार्ट ट्रांसप्लांट को लेकर होता है, जिसका
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यह बात डीन डॉ. संजय दीक्षित ने ‘इंडियन ऑर्गन डोनेशन डे’ पर शुक्रवार को एक सेमिनार में कही। उन्होंने कहा, कौनसा ऑर्गन किसे लगना है, यह मेरिट के आधार पर पहले से तय रहता है। इसके लिए हमारी कमेटी पूरे समय वर्कआउट करती है। इंदौर में 17 साल की नाबालिग द्वारा पिता को लिवर देने का उदाहरण देते हुए दीक्षित ने कहा यह आसान नहीं था। ऐसे मामलों में डीन की सहमति के साथ सरकार की मंजूरी भी जरूरी है। ऐसा तभी संभव है, जब डॉक्टरों टीम इस नतीजे पर पहुंच जाए कि यदि मरीज को लिवर नहीं मिला तो उसकी जिंदगी नहीं बचेगी।
डॉ. दीक्षित ने कहा अंगदान में हम देश में चौथे नंबर पर हैं। हम लोगों ने ग्रीन कॉरिडोर सिर्फ सड़क ही नहीं, बल्कि एयर स्पेस में भी बनाया। शहर में पहला हार्ट ट्रांसप्लांट मेदांता हॉस्पिटल में ही हुआ था।
सेमिनार में डॉ. संदीप श्रीवास्तव ने कहा कि एक व्यक्ति अंगदान द्वारा लगभग नौ लोगों को नया जीवन दे सकता है। डॉ. जय सिंह अरोरा, किडनी रोग विशेषज्ञ ने कहा, मृत्यु के बाद किडनी दान करना अमूल्य उपहार है। डॉ. हरिप्रसाद यादव, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट ने कहा कि मृत्यु के बाद भी हम समाज के जरूरतमंदों को नया जीवन दे सकते हैं।
अंगदान के रजिस्ट्रेशन के लिए QR स्कैनर
कार्यक्रम में अंगदान जन जागरूकता के साथ एक प्लेज बोर्ड जिसमें प्लेजिंग के लिए QR स्कैनर भी है, सभी सामाजिक कार्यकर्ता एवं संस्थानों के लिए वितरित किया गया। इसके माध्यम से अंगदान के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया और भी सरल हो गई है। लोग आसानी से अपने आप को अंगदान के लिए रजिस्टर कर पायेंगे।
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