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3 से 4 प्रतिशत ट्रैफिक ही सीधे एलआईजी से नवलखा जाएगा, पुल की भुजाओं पर भी मतभेद
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मेट्रो प्रोजेक्ट के बाद अब बीआरटीएस पर प्रस्तावित एलिवेटेड कॉरिडोर को लेकर भी असमंजस बढ़ता जा रहा है। 7 किमी लंबा, 16 मीटर चौड़ा फ्लाईओवर 3 साल में बनना था। फरवरी 2024 में यह अवधि भी समाप्त हो गई है, लेकिन अब तक इसकी डिजाइन ही फाइनल नहीं हो सकी है। अब संकट यह भी है कि यदि गुजरात की कंपनी को ठेका नहीं दिया तो बिना काम के 30.60 करोड़ बतौर हर्जाना कंपनी को देना पड़ेगा।
अधिकारियों और एक्सपर्ट के बीच शुक्रवार को हुई बैठक में भी तय नहीं हो सका कि आखिर डिजाइन कैसी हो। प्रोजेक्ट के लिए केंद्र से दो साल पहले राशि मिल चुकी है। अब जो वर्तमान ट्रैफिक डेटा आया है, उसके मुताबिक मात्र 3 से 4 प्रतिशत ट्रैफिक ही सीधे एलआईजी से नवलखा तक जाएगा।
इस कारण सॉइल टेस्टिंग के बाद भी प्रोजेक्ट नहीं बढ़ पाया है। वर्तमान डिजाइन को लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। अब पूरे मामले में जनप्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक होगी। उसमें ही निर्णय हो सकेगा। एक्सपर्ट ने भी माना कि कोरिडोर की एफिशिएंसी कम रहेगी। सभी चौराहे अहम हैं, ऐसे में कितनी जगह इसकी भुजाओं को उतारा जाए, इसे लेकर भी मतभेद हैं।
24 साल बाद भी ग्रेड सेपरेटर का सपना नहीं हो सका पूरा
ग्रेड सेपरेटर का प्रस्ताव 2000 में बना था पर आज तक कुछ नहीं हुआ। बीआरटीएस 2013 में बना। 2018 में ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए आईडीए ने एलिवेटेड कॉरिडोर का प्रस्ताव बनाया। जनवरी 2024 में सीएम ने इसका भूमिपूजन भी कर दिया। इस बीच प्रशासन ने फिर सर्वे करवाया।
उठ रहे हैं। अब पूरे मामले में जनप्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक होगी। उसमें ही निर्णय हो सकेगा। एक्सपर्ट ने भी माना कि कोरिडोर की एफिशिएंसी कम रहेगी। सभी चौराहे अहम हैं, ऐसे में कितनी जगह इसकी भुजाओं को उतारा जाए, इसे लेकर भी मतभेद हैं।


मुंबई की कंपनी को डिटेल रिपोर्ट बनाने को कहा
आखिर में तय हुआ कि एक्सपर्ट के डेटा के साथ मुंबई की टेक्नोजैम कंपनी फाइनल रिपोर्ट दे। रोप-वे एजेंसी ने भी अपनी बात रखी। बैठक में कलेक्टर आशीष सिंह, निगमायुक्त शिवम वर्मा, आईडीए सीईओ आरपी अहिरवार सहित तकनीकी कॉलेजों के एक्सपर्ट शरद नाइक, अतुल सेठ सहित अन्य मौजूद थे।
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