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मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में रहने वाले दो व्यक्तियों ने मुगल बादशाह शाहजहां की बहू के मकबरे और तीन इमारतों पर यह कहते हुए वक्फ बोर्ड में अपील की थी कि इन इमारतों में वक्फ बोर्ड का अधिकार है। वक्फ बोर्ड ने 2013 मे अपील पर आदेश जारी करते हुए इसे अपनी सं
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हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ़ इंडिया की महत्वपूर्ण याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि शाह शुजा स्मारक, नादिर शाह का मकबरा और किले में स्थित बीवी साहब की मस्जिद प्राचीन और संरक्षित इमारत है जिस पर की आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ़ इंडिया का हक है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान माना कि वक्त बोर्ड ने गलत आदेश जारी कर इन इमारत को अपनी संपत्ति मानी थी। जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने अपने आदेश में कहा कि तीनों इमारत वक्फ बोर्ड अपने अधीन नहीं कर सकता है। आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ़ इंडिया की तरफ से हाईकोर्ट को अधिवक्ता कौशलेंद्रनाथ पेठीया ने बताया कि साल 2013 में वक्फ बोर्ड ने एक आदेश जारी कर यह कहा था कि बुरहानपुर के मकबरे की संपत्ति वक्फ बोर्ड के अधीन है। जबकि अधिनियम 1904 के तहत वर्क बोर्ड प्राचीन और संरक्षित इमारत को अपनी संपत्ति घोषित नहीं कर सकता।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान आर्कोलॉजी सर्वे ऑफ़ इंडिया ने याचिका में बताया कि प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत बुरहानपुर की यह तीनों ही इमारत हैं जो की प्राचीन और संरक्षित इमारतें हैं। अधिनियम 1904 के तहत वर्क बोर्ड इन संपत्ति अपनी नहीं कह सकता। बता दे की साल 2015 में जब एएसआई ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी उस दौरान वर्क बोर्ड के आदेश पर एएसआई को स्टे मिला था। आज इस मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने बुरहानपुर की संपत्ति ASI के अधीन मानी हैं।
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