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Two day national workshop organized at Barkatullah University | बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला: विश्व जिन समस्याओं से जूझ रहा, उसका समाधान भारतीय ज्ञान परंपरा और शोध में-अशोक कड़ेल – Bhopal News

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बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल में “भारतीय ज्ञान परंपरा और शोध-अनुसंधान” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ मंत्री इंदर सिंह परमार ने गुरुवार को किया। कार्यक्रम के उद्धाटन सत्र में द्वीप प्रज्जवलन और सरस्वती वंदना की गई। परमार ने अपने उद

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कार्यशाला के प्रथम दिन चार सत्र आयोजित किये गए, जिसमें भारतीय ज्ञान परंपरा और शोध-अनुसंधान विषय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गयी। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में मुख्य वक्तव्य-पद्मश्री डॉ. कपिल तिवारी द्वारा दिया गया। उन्होंने कहा भारत में कोई चीज़ अतीत नहीं होती, भारत में हर चीज़ सनातन है, उसके आधार पर हम अपने आज की रचना कर सकते हैं। विद्यार्थियों को यह समझना आवश्यक है कि मैं उस परंपरा की रचना हूँ जिसके पीछे हजारों पीढ़ियों के विचार सक्रिय है।

द्वितीय सत्र में विषय विशेषज्ञ प्रो. वी. के. मल्होत्रा,अध्यक्ष, खाद्य आयोग म.प्र. ने विभिन्न ज्ञान क्षेत्रों में भारतीय ज्ञान परंपरा और शोध’ विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। प्रथम एवं द्वितीय सत्र का संचालन डॉ.राहुल सिंह परिहार द्वारा किए गया। कार्यशाला के तीसरे सत्र में दो विषय विशेषज्ञों द्वारा अपने विचार व्यक्त किये गए। तीसरे सत्र में कार्यशाला के विषय विशेषज्ञ प्रो. तिमिर त्रिपाठी, प्रोफेसर, मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग ने ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और विज्ञान का शोध में योगदान: एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण” विषय पर अपने शोष पत्र की प्रस्तुति की। प्रो .आशीष पांडे,प्रोफेसर, शैलेशजे. मेहता स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,बॉम्बे ने ‘भारतीय ज्ञान परंपरा में ज्ञान की अवधारणा’ विषय पर शोष पत्र की प्रस्तुति की गयी। तीसरे सत्र का संचालन प्रो.अनीता धुर्वे एवं डॉ. रूपाली शेवालकर द्वारा किया गया। चौथे सत्र में उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश के निर्देशानुसार,भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध सन्दर्भ के अंतर्गत “भारतीय ज्ञान परंपरा और शोध-अनुसंधान ” विषय पर ई-कंटेंट डेवलप करने हेतु चर्चा की गयी।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्वागत वक्तव्य में कार्यशाला की नोडल अधिकारी प्रो.रूचि घोष दस्तीदार ने कार्यशाला के महत्व एवं उदेश्यों पर प्रकाश डाला और कहा कि जैसे बड़े-बड़े वृक्षों को मज़बूती उनकी जड़े प्रदान करती हैं। उसी प्रकार भारतीय ज्ञान परंपरा हमारी आने वाली पीढ़ियों को मज़बूती प्रदान करेगी। जो भारतीय ज्ञान परम्परा को हमारे पाठ्यक्रमों में समाहित करके संभव हो पायेगा।

कार्यक्रम का आयोजन बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल के कुलगुरु प्रो.एस.के जैन की अध्यक्षता में किया गया। अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा कि बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा पर एक शोध केंद्र के रूप में कार्य करेगा। भारत ऐसी भूमि है जहाँ कण कण में शोध है, अनुसन्धान है। हमारी ज्ञान परंपरा बहुत समृद्धशाली है, जिसमें शोध, अनुसन्धान की आवश्यकता है। कार्यक्रम का समन्वयन कार्यशाला की नोडल अधिकारी प्रो.रूचि घोष दस्तीदार ने किया। उद्घाटन सत्र का संचालन बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के प्रो. पवम मिश्रा द्वारा किया गया।

कार्यशाला के प्रतिभागियों में शिक्षक, शोधकर्ता, केंद्रीय अध्यन मंडल सदस्य, हिंदी ग्रंथ अकादमी के पुस्तक लेखक, ई-कंटेंट डेवलपर, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ और विद्वान जो भारतीय ज्ञान परंपरा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं शामिल रहे।

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