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जबलपुर में बीते तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश ने कहर ढाना शुरू कर दिया है। सिहोरा तहसील के ग्राम हरदी में बुधवार की रात को हुई तेज बारिश ने कारण सैकड़ों ग्रामीण घर से बेघर हो गए, कुछ लोगों ने घरों से बाहर होकर पेड़ पर आसरा लिया। हालांकि सूचना मिलन
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एएसपी सूर्यकांत शर्मा टीम के साथ पहुंचकर ग्रमीणों को सकुशल बाहर निकाला।
लगातार हो रही बारिश का कहर सिहोरा तहसील हरदी गांव में अचानक ही पानी भर गया, आलम यह था कि कुछ ही देर में पूरा गांव पानी से घिर गया, जो लोग घरों के अंदर थे वो पानी में फंस गए थे, जबकि कुछ लोगों ने पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचाई। जानकारी कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना को लगी तो उन्होंने एएसपी के नेतृत्व में पुलिस प्रशासन की टीम मौके पर भेजी और पानी में फंसे लोगों को रेस्क्यू कर उन्हें पानी से बाहर निकाला। जानकारी के मुताबिक बारिश के कारण हरदी गांव के 50 घरों में पानी भर गया। घरों के डूबने से ग्रामीणों की गृहस्थी का सामान डूब गया। अपनी जान बचाने ग्रामीणों ने पक्के घरों में शरण ली। गांव में लगातार पानी बढ़ता ही जा रहा है। गांव के टापू बनने की खबर लगते ही प्रशासनिक अमला गांव पहुंच गया है। ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। दरअसल आज सुबह हुई तेज बारिश के बाद हरदी गांव में लगातार पानी भरना शुरू हो गया। देखते ही देखते बस्ती टापू में तब्दील हो गई। बारिश का पानी भरने से लोगों की गृहस्थी का सारा सामान डूब गया। जानकारी यह भी सामने आ रही है कि हरदी से सटे कुकर्रा गांव के कुछ घरों में बारिश का पानी घुस गया है।

पानी से घिरे ग्रमीणों को बचाने के लिए पुलिस ने नाव चलाई।
एसडीएम-एएसपी ने संभाला मोर्चा
हरदी गांव के घरों में पानी भरने की सूचना कुम्ही सरपंच मोहन मिश्रा ने एसडीएम सिहोरा रूपेष सिंघई को दी। खबर मिलने ही एसडीएम, आरआई, पटवारी हरदी गांव पहुंचे। अमले ने ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचवाया। कई ग्रामीण अभी भी घरों की छत पर बैठकर अपने घरों की निगरानी कर रहे है। जानकारी यह भी सामने आई है कि बेलकुंड नदी और दतला नदी उफान पर जिसके कारण कटनी जिले के ढीमरखेड़ा ब्लॉक के कई गांव डूब गए हैं। इन्हीं दोनों नदियों का पानी हरदी गांव में प्रवेश कर गया। जिसके कारण पूरा गांव टापू बन गया है। एएसपी सूर्यकांत शर्मा ने बताया कि हरदी गांव के 50 घरों में पानी भर गया है, ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर ठहराया गया है। नाव बुलाई गई है, ताकि छतों पर बैठे ग्रामीणों को सुरक्षित निकाला जा सके। साथ ही ग्रामीणों के ठहरने और खाने की व्यवस्था की जा रही है।
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