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बड़वानी जिले में बीते माह से बादलों की मौजूदगी व कम बारिश से बेल वाली साग-सब्जियों के लिए मुसीबत आ रही है। वहीं इन दिनों मंडियों में कई तरह की सब्जियों के थोक दाम बेभाव हो चुके हैं। हालत यह है कि किसान को खेत से एक एकड़ गिल्की तुड़ाई का खर्च 1200 रुपए स
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बड़वानी क्षेत्र के किसान संजू रामा काग ने बताया कि एक एकड़ में गिल्की लगाई थी। उत्पादन में खाद-बीज व दवाईयों को मिलाकर करीब 70 हजार रुपए खर्च आया। गिल्की को 12-12 किलो के पैकेट बनाकर इंदौर व अन्य शहरों में बेचने भेजे, लेकिन लागत तो दूर की बात, परिवहन खर्च महंगा पड़ गया। इंदौर मंडी में जितना माल भेजा, उसका एक रुपए मुनाफा नहीं मिला। उल्टा खेत में सब्जी तुड़ाई की मजदूरी जेब से देना पड़ी।
एक एकड़ में सब्जी तुड़ाई की मजदूरी 1200 से 1300 रुपए लगे, लेकिन मंडी में वर्तमान थोक भाव महज 2 से 3 रुपए किलो मिल रहा है। ऐसे में एक एकड़ खेत में लगे गिल्की की बेल व बांस-बल्लियां निकाल रहे है। अब दूसरी कोई फसल लगाएंगे। काग ने बताया कि आसपास के खेतों में किसानों द्वारा लगाई खीरा ककड़ी, भट्टे आदि के भाव नहीं मिलने पर तुड़ाई नहीं करने से खेत में ही सब्जी खराब हो रही है।

राजपुर क्षेत्र के किसान श्याम कछावा ने बताया कि सब्जी के भाव कम होने से किसने की लागत भी नहीं निकल रही है। किसान रात दिन मेहनत कर सब्जी खेत में उगाता है, लेकिन भाव नहीं मिलने से फेंकने और मवेशियों को खिलाने को मजबूर है। कछावा ने कहा कि जब देश में प्याज-टमाटर जैसी सब्जियों के भाव आसमान छूते है तो संसद तक चर्चा होती है, लेकिन विपरीत सीजन में जब सब्जियों के दाम औंधे मुंह गिरते हैं, तब किसानों की नुकसानी की भरपाई के लिए कोई आवाज नहीं उठाता।

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