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इस्लाम धर्म के पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमान हुसैन की शहादत की याद में मुस्लिम समाज द्वारा मोहर्रम पर्व मनाया गया। यादें-हुसैन में इस्लामी माह मोहर्रम की 10 तारीख यानी की बुधवार देर रात को ताजियों का काफिला बैंड-बाजे के साथ अपने मुकाम से उठ
.
गौरतलब है कि मोहर्रम को करबला की जमीन पर हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को तीन दिन भूख-प्यास के बाद शहीद कर दिया गया। जिनकी याद में हर वर्ष मुस्लिम समाज द्वारा ताजिये निकाले जाते है। काफिले में कतिब 50 छोटे-बड़े ताजिए बैंड-बाजे के साथ निकले।
यहां जायरीनों ने अकीदत के फूल पेश किए और मन्नतें भी मांगी और ताजियों पर लोबान भी पेश किया। वहीं रात करीब 10 बजे ताजिए मुख्य मार्ग से उठकर बस स्टैंड स्थित पैकी वाले बाबा की दरगाह पर पहुंचे, जहां छीटा लगाया गया।
इसी के साथ ही दस दिवसीय यादें-गमें-हुसैन का समापन हुआ। इस दौरान नगर में चप्पे-चप्पे पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी मुस्तैद नजर आए। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस द्वारा ड्रोन व सीसीटीवी कैमरों से भी हर एक परिस्थिति पर अपनी नजर रखी गई।
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