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मानसून का दौर शुरू होने से खेतों में अब फसलों को खाद की आवश्यकता महसूस होने लगी है। ऐसे में किसान शहर की आदिम जाति सेवा सहकारी सोसायटी में यूरिया-डीएपी लेने आ रहे हैं। हालांकि, यहां इन खादों की किल्लत बनी हुई है। कई दिनों से स्टॉक खत्म हो चुका है, बा
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भारतीय किसान संघ के मीडिया प्रभारी ओमप्रकाश काग ने इस समय फसलों पर खाद छिड़काव का समय है। बड़वानी की सहकारी सोसायटी में कई दिन से डीएपी नहीं थी। अब यूरिया का भी संकट आ गया है। सोसायटी क्षेत्र से आसपास के 16 गांव जुड़े है। वहां के किसान प्रतिदिन यहां यूरिया-डीएपी के लिए चक्कर लगाने को मजबूर है। 10-12 दिन से सोसायटी में डीएपी का स्टॉक खत्म हो गया।
वहीं पांच दिन से यूरिया भी नहीं मिल रहा है। सोसायटी से जुड़े गांवों के किसान 265 रुपए की खाद बोरी लेने के लिए लंबी दूरी तय कर अपने खर्च पर यहां आ रहे है। इसके लिए ज्ञापन सौंप कर भी अवगत करा चुके है। जिम्मेदारों के आश्वासन कोरे साबित हो रहे है।
आदिम जाति संस्था प्रबंधक जगदीश मुकाती ने कहा कि पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है। हालांकि, 2 जुलाई से डीएपी और 10 जुलाई से यूरिया खत्म हो चुका है। इसे लेकर जिला विपणन अधिकारी को डीएपी-यूरिया की 100-100 टन सहित पोटाश और इफ्को की 50-50 टन उपलब्धता की डिमांड भेजी है। जैसे ही स्टॉक प्राप्त होगा, किसानों को वितरण किया जाएगा।


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