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सानंद न्यास एवं पंचम निषाद, मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में आषाढी एकादशी निमित्त देवी अहिल्या विश्वविद्यालय सभागृह में रविवार को आयोजित ‘बोलावा विठ्ठल’ कार्यक्रम में अभंग गायन की प्रस्तुति दी गई। सिद्धार्थ बेलमन्नू और शरयू वाघमारे की प्रस्तुति ने समा
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शरयू दाते ने रूप पाहता लोचनी, राम बरवा, सुखाचे जे सुख , आता कोठे धावे मन, बोलावा विठ्ठल और सिद्धार्थ बेलमन्नू ने इंद्रायणी काठी, माझे माहेर पंढरी, संत भार पंढरी, कन्नड़ भजन, हरि म्हणा, दासाची संपति,सौभाग्यदा लक्ष्मी बारम्मा, देव माझा की यादगार प्रस्तुतियां दीं।

समारोह में उपस्थित प्रबुद्धजन।
भक्त और भगवान के बीच अभंग का अटूट संबंध
गौरतलब है कि भक्त और भगवान के बीच भजन (अभंग) एक ऐसा अटूट संबंध पैदा करता है, जिसमें भक्त की भक्ति और स्वयं भगवान की महानता का वर्णन होता है और स्वरों के साथ दिव्यता लिए होता है। जय हरि विठ्ठल के नाम का गजर करते हुए सुरों की वर्षा में भीगना, भगवान की सच्ची आराधना होगी। कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले अभंगों ( भजनों )के साथ भक्तिमय वातावरण में झूमना और ईश्वर की भक्ति में खो जाने हेतु आषाढी एकादशी निमित्त बनती हैं। मराठी और कन्नड़ भाषियों के लिए यह तिथि बेहद महत्वपूर्ण होती है। इस दिन पंढरपुर के विठ्ठल (भगवान श्री कृष्ण) मंदिर में लाखों श्रद्धालु जुटते हैं, जो भक्त पंढरपुर नहीं जा पाते वो घर या अपने मोहल्ले में विठ्ठल भक्ति करते हैं। सानंद न्यास अपने फुलोरा उपक्रम के तहत प्रतिवर्ष बोलावा विठ्ठल कार्यक्रम करता है। इस बार युवा कलाकारों ने बेहतरीन प्रस्तुति दी। महाराष्ट्र के अत्यंत लोकप्रिय कलाकार शरयू दाते और सिद्धार्थ बेलमन्नू ने भक्ति रस का समां बांध दिया। कार्यक्रम में साथ देने वाले साथी कलाकार थे तबला- प्रशांत पाध्ये, पखावज-सुखद मुडे, हार्मोनियम-आदित्य ओक, साईड रिदम-सूर्यकांत सुर्वे, बांसुरी-षडज गोडखिंडी।
शुरुआत में कार्यक्रम का शुभारंभ उद्योगपति विरलजी वडनेरे दीप प्रज्वलित कर किया। अतिथि एवं कलाकारों का स्वागत सानंद के जयंत भिसे, संजीव वावीकर और सुधाकर काळे ने किया। कार्यक्रम का संचालन पूर्वी शेंदुर्णीकर एवं रुद्रेश नारखेड़े ने किया। जयंत भिसे ने आभार माना।

गायक सिद्धार्थ बेलमन्नू

गायिका शरयू वाघमारे
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