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रायसेन जिला मुख्यालय पर ही बारिश के मौसम में रात के समय शहर के तीनों मुख्य मार्गों पर अंधेरा पसरा हुआ है। स्ट्रीट लाइट चालू नहीं है, जबकि इन तीनों सड़कों पर फोरलेन बनाने में सरकार ने करीब 50 करोड़ खर्च किए हैं। जिस पर सड़क के बीच डिवाइडर बनाकर पोल पर
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लेकिन स्थानीय प्रशासन सहित जिम्मेदार विभाग के अफसरों को इस समस्या से कोई सरोकार नहीं है। क्योंकि ज्यादातर विभागों के अफसर रायसेन में कम भोपाल में ज्यादा रहते हैं। अपने कार्यालयीन समय में आकर वापस भोपाल या अन्य स्थानों पर चले जाते हैं। यही वजह है कि उन्हें रायसेन शहर की समस्याओं की जानकारी भी नहीं रह पाती है।
यहां तो पोल ही नहीं लगे
भोपाल रोड पर चोपड़ा मंदिर से लेकर दरगाह तक ठेकेदार ने डिवाइडर के बीच में खंभे ही नहीं लगाए तो यहां सड़क के लंबे हिस्से में अंधेरा छाया रहता है। कुछ प्रतिष्ठानों, दुकानदारों सहित रहवासियों ने अपने घरों के सामने लाइट लगवा रखी है। जिससे कुछ सीमा तक रोशनी होती है। इसी तरह के हालात सागर रोड पर हैं, यहां स्वामी विवेकानंद कॉलेज से पाटनदेव से आगे वाले हिस्से में सड़क पर स्ट्रीट लाइट नहीं जलती। इसके आगे कुछ हिस्से में खंभे ही नहीं लगाए।

सांची रोड पर एक सप्ताह से बंद लाइट
शहर में सांची रोड पर जिला न्यायालय, कलेक्टर बंगला के सामने से लेकर कॉन्वेट स्कूल लगी स्ट्रीट लाइट करीब एक सप्ताह से बंद हैं। गोल्डन सिटी, कलेक्ट्रेट, शीतल सिटी के सामने का हिस्सा करीब एक सप्ताह से अधिक समय से अंधेरे में है। इसके अलावा भोपाल रोड पर कृषि उपज मंडी के नजदीक मोड़ से लेकर चोपड़ा मंदिर खंभों पर लगी स्ट्रीट लाइट करीब पन्द्रह दिनों से बंद बताई जा रही है। यहां के दुकानदार सहित रहवासी नगर पालिका और लोक निर्माण विभाग के अफसरों से शिकायत कर चुके हैं। लेकिन दोनों विभाग के अफसर एक-दूसरे पर टाल रहे हैं।
दो दिन पहले हादसे में हुई थी एक की मौत
अंधेरे के चलते छोटे हादसे कई बार हो चुके हैं। दो दिन पहले गुरुवार रात को सांची रोड पर गोल्डन सिटी के सामने एक बाइक सवार की मौत हो गई। उस दौरान सड़क पर पशु बैठे हुए थे और सड़क पर भी अंधेरा पसरा था। ऐसे में बाइक चालक युवक राम सिंह पुत्र मिठ्ठूलाल जाटव पहले गाय से टकरा गए फिर डिवाइडर पर जाकर सिर टकराया था। जिससे उसकी मौत हो गई थी।

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