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बिना लक्ष्य का जीवन पशु तुल्य होता है। पशुओं के जीवन का कोई उद्देश्य नहीं होता है, लेकिन मनुष्य के जीवन का उद्देश्य या लक्ष्य होना चाहिए और उसे प्राप्त करने के लिए हमें निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। उक्त बात शुक्रवार को रतलाम कोठी स्थानक उपाश्रय में
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उन्होंने कहा कि मनुष्य के तीन उद्देश्य होना चाहिए। पहला पदार्थ वृद्धि, दूसरा सुक्ष्म बुद्धि और तीसरा आत्मशुद्धि। उन्होंने दृष्टांत के माध्यम से समझाया कि दो लौटे हैं पहले वाले में पानी भरा है और दूसरे वाले में दुध है। पानी वाला लौटा अगर ढूल जाए तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन दुध का लौटा ढूल जाए तो हम चिंता में पढ़ जाएंगे। शरीर की परवाह मत करो, आत्मा की चिंता करो। श्री नीलवर्णा पार्श्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट एवं चातुर्मास समिति संयोजक कल्पक गांधी, अध्यक्ष विजय मेहता एवं अनिल रांका ने बताया कि शनिवार को रतलाम कोठी स्थानक में आचार्यश्री सुबह 9.15 से 10.15 तक प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे। इसके बाद महामांगलिक का कार्यक्रम होगा।
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