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‘Women jumping from buildings is a cruel way of suicide’ | 10 दिन में 3 सुसाइड, तीनों हाईराइज बिल्डिंग से कूदकर: इंदौर में एक्सपर्ट बोले- वजह एक जैसी तो डिप्रेस्ड लोग तरीका फॉलो करते हैं – Indore News

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सुसाइड के केस से जुड़े मामलों के फाइल वीडियो और फाेटोज।

इंदौर में हाईराइज बिल्डिंग से कूदकर 10 दिन में 3 जानें दे दी गईं। तीनों मौत में एक बात सामने आई कि तीनों ने ऊंची बिल्डिंग ढूंढी और जान दी है। बढ़ते मामले को लेकर दैनिक भास्कर ने सीनियिर मनोचिकित्सक और इंदौर MGM के पूर्व मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. राम गुल

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डॉ. राजदान इस सवाल पर कहते हैं कि ‘एक्टर सुशांतसिंह राजपूत ने जान दी तब भी सुसाइड केस बढ़े। किसी का सुसाइड का कारण और तरीका ट्रेंड को जन्म देता है। जब कोई नए तरीके से सुसाइड करता है तो डिप्रेशर में घिरा व्यक्ति उसे फॉलो और कनेक्ट करने की कोशिश करता है। यदि कारण मैच करते हैं तो वह उसी के तरीके को अपनाने की कोशिश करता है। नए ट्रेंड इसीलिए देखने में आते हैं।’

बता दें कि अप्रैल 2024 में मुस्कान अग्रवाल नामक छात्रा ने ‘टॉलेस्ट बिल्डिंग इन इंदौर’ गूगल पर ढूंढ़ती है और पिनेकल ड्रीम के 16वीं मंजिल से कूद गई। वह मानसिक बीमारी से परेशान थी। उसके बाद से ऊंची बिल्डिंग से कूदने के एकाएक कई मामले सामने आ गए हैं। 3 केस तो 10 दिन के भीतर के ही हैं।

सबसे ताजा ट्रेंड : ऊंची बिल्डिंग ढूंढ़ना और फिर मौका पाकर कूद जाना..

इंदौर में अप्रैल 2024 का ट्रेंड : होटल के कमरा लेकर फंदे पर झूलना..

  • भंवरकुआं में रूपेश रविन्द्र पाटिल ने स्टार 24 होटल में फांसी लगाकर जान दी। वह होटल में रुका और फिर दरवाजा ही नहीं खोला। कर्ज से परेशान था।
  • मोहम्मद मुस्तफा पिता जाहिद (27) ने गर्लफ्रेंड के साथ पब में पार्टी की। गैलेक्सी होटल आए और शादी के लिए प्रपोज किया। फ्रेंड ने मना किया तो फांसी लगाई।
  • BPO कंपनी की टीम लीडर नल्ला पूजा (24) ने स्कीम नंबर 54 की होटल DESTINY में सुसाइड किया। दोस्त मिलने आई तो दरवाजा नहीं खोला। शव खिड़की के ग्रिल से लटका था।

होटल में फांसी लगाने और ऊंची बिल्डिंग से कूदने एक के बाद एक सुसाइड की घटनाएं उसी ओर इशारा करती हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में एक्सपर्ट डॉ. रामगुलाम राजदान, डॉ. अभिजीत सोनी और डॉ. राहुल माथुर ने इसके पीछे के कारण बताए। जानिए सिलसिलेवार बातचीत..

Q. पहले वीडियो बनाकर, फिर होटल में सुसाइड और ऊंचाई से कूदकर जान देने का क्या ट्रेंड है?

इंदौर में दो-तीन महीने में नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। अब जो तरीका देखने में आया है, वह क्रूएल यानी निर्दयता का है। महिलाएं भी इसे अपनाने में पीछे नहीं दिख रही हैं। डिप्रेशन के समय जो व्यक्ति जैसा देखता, पढ़ता, सुनता है वो तरीके सुसाइड के लिए अपना लेता है।

Q. क्या पुराने जमाने यानी मोबाइल-सोशल मीडिया के पहले ऐसा ट्रेंड नहीं आया करते थे?

30 साल पहले तक मोबाइल, टीवी चैनल नहीं आए तब ऐसा देखने को नहीं मिलता था। उसकी वजह थी कि यदि एक शहर में घटना होती थी तो दूसरे तक पता भी नहीं चलता था। तब जहर खाना, फांसी लगाने सुसाइड का तरीका अमूमन होता था। अब घटनों पर सिंगल क्लिक पर पूरी दुनिया का अपडेट है। यह भी घटनाएं बढ़ने की वजह और ट्रेंड को जन्म देने का कारण है। पहले एक महीने में सुसाइड के तीन-चार मामले सामने आते थे, अब हर रोज ऐसे दो मामले दिख ही जाते हैं।

Q. आपका अनुभव क्या कहता है कि पहले और अब सुसाइड के कारण कितने बदल गए हैं?

पहले कुछ सामान्य कारण होते थे। जैसे किसी ने डांट दिया, गांव-मोहल्ले के सामने कटाक्ष कर दिया, पति-पत्नी में अनबन हो गई। आर्थिक परेशानी, कर्ज और बीमारी तब भी कारण हुआ करते थे। अब इनके अलावा एजुकेशनल एग्जाम का प्रेशर, रिलेशनशिप, जॉब सहित फाइनेंशियल स्टेटस मेंटेन नहीं करने पाने से भी सुसाइड हुए हैं। अब अनचाहा दबाव ज्यादा घर कर रहा है। कम समय में ज्यादा अचीव नहीं कर पाना भी अवसाद का कारण देखने में आया है।

Q. अब तो 13 या 14 साल के बच्चे तक जान देने लगे हैं, इस पर क्या राय है?

18 साल से कम और 60 साल से ज्यादा के खुदकुशी के मामले पहले रेयर हुआ करते थे। जब 25 से 30 साल MHY में था तब मुश्किल से 3 से 4 केस चाइल्ड सुसाइड के आए होंगे। कारण भी सामान्य फेल हो जाने से जुड़े थे। अब तो पेरेंट्स के डांटने के अलावा मोबाइल की लत, वीडियो गेम के टॉस्क जैसे मामले में सामने आ रहे हैं।

Q. डिप्रेशन में है, इसे पहचानने का कोई तरीका है।

लगातार मूड ऑफ रहता हो। नींद नहीं आना, नेगेटिव विचार जताना, भूख पर टालमटोल करना, मामूली बातों पर भी झल्लाते रहना। यदि एक महीने तक लगातार किसी में ऐसे 3 से 4 लक्षण देखें तो उसे डिप्रेशन मान सकते हैं। यदि ऐसा व्यक्ति मरने-मारने की बात करता है तो उसे सामान्य नहीं लेवें।

Q. सिजोफ्रेनिया बीमारी क्या है, उसकी ज्यादा चर्चा हो रही है?

सिजोफ्रेनिया के मरीज ब्रूटल किलिंग करते हैं। अपने कंट्रोल में नहीं रहते। सोच-समझ नहीं पाते। बिना कहे, उन्हें बाहर से आवाज आती हैं। ऐसे लोग अकेले रहते हैं। दूसरों से दूरी बनाकर रखते हैं और कम ही बोलते हैं। ‘मटरिंग टू सेल्फ’ यानी खुद अपने आपसे बुदबुदाकर बातें करते हैं।

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