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एक पंछी जिस डाल पर बैठता है, उसे उस डाल के टूटने का डर नहीं होता, क्योंकि उसे अपने पंख पर भरोसा होता है। अगर हमें भी जीवन को जीतना है तो दु:ख में वीरता, दोषों में वेदना और गुणीजनों के प्रति वंदना का भाव होना चाहिए। संतोषी व्यक्ति कैसी भी परिस्थिति हो
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धर्मसभा में प्रवचन देते हुए आचार्यश्री।
उक्त विचार जानकी नगर स्थित जैन उपाश्रय में आयोजित दो दिवसीय प्रवचनों की अमृत श्रृंखला के समापन अवसर पर आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा ने धर्मसभा में सभी श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

धर्मसभा में शामिल हुए समाजजन।
श्री नीलवर्णा पार्श्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट एवं चातुर्मास समिति संयोजक कल्पक गांधी एवं अध्यक्ष विजय मेहता ने बताया कि मंगलवार को आचार्यश्री ने जीवन जाना है या जीतना है विषय पर प्रवचनों की अमृत वर्षा की। दो दिवसीय प्रवचन के समापन अवसर पर अंतिम दिन धर्मसभा में जनसैलाब भी उमड़ा। इस अवसर पर श्रावक-श्राविकाओं ने प्रवचनों के पश्चात आचार्यश्री से आशीर्वाद भी प्राप्त किया।
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