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आमतौर पर सरकारी स्कूलों की छवि प्राइवेट स्कूलों की तुलना में कमजोर समझी जाती है लेकिन भोपाल के सुभाष एक्सीलेंस स्कूल ने इस धारणा को तोड़ दिया है। यहां बड़ी संख्या में प्राइवेट स्कूलों से आए विद्यार्थियों ने एडमिशन लिया है। इसकी बड़ी वजह सफलता का ट्रैक र
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शिवाजी नगर स्थित इस स्कूल में पिछले छह साल में ही 568 स्टूडेंट का नीट, जेईई, सीए के लिए सलेक्शन हुआ। इस बार इस स्कूल में 9वीं कक्षा में प्रवेश लेने वाले 221 में से 212 और 11वी कक्षा में एडमिशन लेने वाले 232 में से 219 विद्यार्थी निजी स्कूलों से आए हैं। स्कूल के प्रिंसिपल सुधाकर पाराशर ने बताया कि यहां के विद्यार्थियों की कामयाबी की बड़ी वजह यह है कि यहां पढ़ाने और सिखाने के तौर तरीके सबसे अलग हैं। कई अवसरों पर शाम तक क्लासेस चलती हैं।
स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव रहीं रश्मि अरुण शमी कहती हैं, इस स्कूल में शिक्षकों का फोकस विद्यार्थियों के सर्वांगीण मानसिक व शारीरिक विकास पर रहता है। उन्हें खेल, सांस्कृतिक क्षेत्र आदि में बढ़ने के मौके दिए जाते हैं। लगातार मूल्यांकन होता है। गलतियों को बारीकी से परखकर सुधारा जाता है।
यह है स्कूल का 5 साल का ट्रैक रिकॉर्ड

इसलिए भी अलग {विद्यार्थियों को अधिकाधिक प्रश्न पूछने के अवसर देते हैं। { ब्लूप्रिंट आधारित तैयारी कराई जाती है। { टॉपर छात्रों को बुलाकर उनसे मार्गदर्शन दिलाते है। उनकी आंसर कॉपी उपलब्ध कराते है। {दिसंबर में कोर्स कंप्लीट, 3 बार प्री- बोर्ड आधारित अभ्यास l
एक्सपर्ट व्यू – एडमिशन का यह ट्रेंड इंदौर से दोगुना
एजुकेशनल रिसर्च स्कॉलर परेश पाठक बताते हैं कि सुभाष एक्सीलेंस स्कूल ने टीचिंग लर्निंग का अपना खुद का मैकेनिज्म डेवलप किया है। सुपर हंड्रेड स्कीम लागू होने के बाद तो स्कूल की सफलता का ग्राफ और ज्यादा तेजी
से बढ़ गया। प्राइवेट से सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेने का ट्रेंड भोपाल में इंदौर से भी दोगुना है।
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