[ad_1]
विदिशा में शुक्रवार दोपहर को जिला चिकित्सालय की लिफ्ट अचानक बंद हो गई। लिफ्ट के अंदर पांच लोग सवार थे। जिनमें तीन महिलाएं और दो पुरुष थे। लिफ्ट बंद होने पर उसके अंदर फंसे सभी लोग चिल्लाने लगे। किसी ने उनकी आवाज नहीं सुनी।
.
उन्होंने इमरजेंसी अलार्म का बटन दबाकर मदद पाने की कोशिश की। हालांकि लेकिन उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिल पाई। लिफ्ट में तीन महिलाएं दो पुरुष थे। लिफ्ट में पंखा नहीं के कारण तेज गर्मी में पांचों लोगों की हालत खराब हो रही थी। लगभग 45 मिनट तक पांचों लोग लिफ्ट में फंसे रहे। इसके बाद में लिफ्ट चली। जिसके बाद पांचों लोगों ने राहत की सांस ली।
घासीराम सेन ने बताया दोपहर में जब वह जिला अस्पताल की पहली मंजिल से लिफ्ट लेकर तीसरी मंजिल पर जा रहे थे। उसी बीच रास्ते में लिफ्ट अचानक बंद हो गई। लोगों को मदद के लिए आवाज दी। हालांकि किसी ने उनकी आवाज नहीं सुनी। लिफ्ट में पंखा नही था। गर्मी में हालत खराब हो रही थी।
हमसे जो कुछ हो सकता था वह प्रयास किए पर कोई सहायता नहीं मिली। पौन घंटे तक लिफ्ट में फंसे रहे। हम लोगों की हालत ऐसी हो गई थी जैसे जान जानी वाली हो। कोई सुनने वाला नहीं, कोई बचाने वाला नहीं था। 45 मिनट बाद लिफ्ट चालू हुई। घसीराम से हॉस्पिटल प्रबंधन के ऊपर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की।
दरअसल, जिला चिकित्सालय में 7 लिफ्ट मौजूद हैं। जिनमें से दो लिफ्ट पहली मंजिल तक होने के कारण उनको स्थाई रूप से बंद करके रखा गया है। बाकी की पांच लिफ्ट अस्पताल के स्टाफ और मरीजों के लिए चालू है। बताया गया कि लिफ्ट के मेंटेनेंस का जिम्मा जॉनसन कंपनी के पास है।
जिनका कर्मचारी समय-समय पर लिफ्ट का मेंटेनेंस करता है। लोगों का कहना है कि जिला चिकित्सालय की लिफ्ट कभी भी बंद हो जाती। इससे पहले हॉस्पिटल का स्टाफ लिफ्ट में ऊपर जा रहा था तो लिफ्ट बंद हो गई थी। बाद में 5 मिनट बाद लिफ्ट चालू हुई थी।

[ad_2]
Source link

