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रिसर्च इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी में प्रकाशित
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राजधानी में 40 साल से कम उम्र के 40% लोगों को मोतियाबिंद हो रहा है। इतना ही नहीं, 2% तो ऐसे हैं, जो 18 साल से कम उम्र के हैं। दरअसल, एम्स भोपाल बीते 3 सालों से मोतियाबिंद पर स्टडी कर रहा है। इस दौरान करीब तीन हजार लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया है। इसमें से 40% मरीज 60 साल से कम उम्र के थे। 36 मरीज तो 18 साल के भी नहीं हुए थे।
एम्स भोपाल की नेत्र विभाग की प्रमुख डॉ. भावना शर्मा ने बताया कि मोतियाबिंद की समस्या ज्यादातर उनमें देखी गई, जिनकी अनहेल्दी लाइफ स्टाइल, समोकिंग की आदत थी और उन्हें मधुमेह, ब्लड सर्कुलेशन सही नहीं रहने की समस्या थी। वहीं, 18 साल से कम उम्र के युवाओं में मोतियाबिंद की समस्या का कारण डॉक्टर परामर्श के बगैर दवाइयों का सेवन या अनुवांशिक कमी को माना जा रहा है।
ब्लाइंडनेस के 51 फीसदी मामले मोतियाबिंद के
एम्स ने रिसर्च में राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज के आंकड़े भी शामिल किए हैं। हमीदिया में 2023 में हर महीने 36 सर्जरी होती थी, अब 46 हो रही है। 16 साल से कम उम्र का दो माह में एक केस आता था, अब हर माह एक केस आने लगा है। ब्लाइंडनेस के कुल मामलों में से 51 फीसदी में वजह मोतियाबिंद होती है। मोतियाबिंद के 36 प्रतिशत मरीजों की आयु 40 से ज्यादा और 60 वर्ष से कम थी। हर साल भोपाल में 50 से ज्यादा बच्चों की कैटरैक्ट सर्जरी की जा रही है। रिसर्च इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी में प्रकाशिथ हुई है।
हेल्दी डाइट है फायदेमंद… विशेषज्ञों के अनुसार हेल्दी डाइट आंखों के लिए फायदेमंद है। इसलिए विटामिन, मिनरल व प्रोटीन युक्त फलों का सेवन करने से आंखों में रोशनी सही रहती है। इसके साथ व्यायाम से शरीर के साथ आंखों को भी लाभ मिलता है।
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