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इंदौर में इस समय फूलों की कीमत में जबरदस्त उछाल है। पिछले 1 महीने में अलग-अलग किस्म के फूलों की कीमतें दो से तीन गुना तक बढ़ी हैं। व्यापारियों का कहना है कि मार्केट पूरी तरह से साइलेंट है। कोई विशेष पर्व भी नहीं आ रहा है। कोई डिमांड भी नहीं है लेकिन उ
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शहर में 300 से ज्यादा फ्लावर की छोटी बड़ी दुकानें हैं। 10-15 शोरूम हैं। मंडी में थोक की 80 फ्लावर दुकानें हैं। 20 से 25 दुकानें सिर्फ कट पीस वाले गुलाब बेचती हैं। टॉवर चौराहे पर फ्लावर की सबसे ज्यादा दुकानें है। जहां पर हर वैराइटी के फूल आसानी से मिल जाते हैं। इंदौर में फूल महंगे होने के पीछे व्यापारी दो कारण बता रहे हैं।
पहले जानिए वह दो कारण जिसके कारण फूलों महंगे हुए…
- गर्मी ज्यादा होने की वजह से पैदावार ठीक से नहीं हुई। किसान को खेती में घाटा होने से मार्केट में फूल महंगे हो गए। वहीं पैदावार और डिमांड कमजोर होने से व्यापारियों ने भी कीमत में वृद्धि की।
- इंदौर के आसपास पहले बड़े स्तर पर फूलों की खेती की जाती थी। शहर की आधे से ज्यादा डिमांड इंदौर के किसान ही पूरी कर देते थे। लेकिन अब खेती की जमीन पर कॉलोनी कटने व अन्य डेवलपमेंट होने से इंदौर में फूलों का रकबा कम हो गया है। जिससे व्यापारियों को इंदौर जिले के बाहर से फूल मंगवाना पड़ रहे हैं।
अब जानिए किस फूल की कीमत कितनी बढ़ी…
फ्लावर शॉप संचालक राहुल वर्मा ने बताया कि जो फूल 40 से 50 रुपए किलो में मिलता था, वह अभी 100 से 150 रुपए किलो में मिल रहा है। 5 किलो गेंदे के फूल पहले 30 से 40 रुपए किलो में मिलते थे, वही गेंदे के फूल आज 80 से 100 रुपए किलो में मिल रहे हैं। देसी गुलाब जो 50 रुपए किलो मिलता है, वह आज 125 से लेकर 160 रुपए किलो तक बिक रहा है। अभी गुलाब की नई वैराइटी डिवाइन गुलाब की सबसे ज्यादा डिमांड है। 100 से 150 रुपए में मिलने वाले डिवाइन गुलाब की यह हालात है कि वह 250 से 300 रुपए के ऊपर बिक रहा है।
इंदौर में इन शहरों से आते हैं फूल
नासिक, पुणे, दिल्ली और दक्षिण भारत के राज्यों से इंदौर में समय-समय पर फूलों की सप्लाई की जाती है। वहीं फरवरी में हाथरस, फर्रुखाबाद, कानपुर, उदयपुर (हल्दी घाटी), चित्तौड़, जम्मू कश्मीर, हिमाचल और महाराष्ट्र से अलग-अलग वैराइटी के गुलाब आते हैं। वहीं वर्तमान में सबसे ज्यादा फूल बड़वाह, धार और रतलाम की तरफ से इंदौर की मंडी में बिकने आ रहा है।
इंदौर के आसपास यहां होती है खेती, लेकिन रकबा हुआ कम
व्यापारियों से मिली जानकारी के अनुसार इंदौर जिले में मेमदी, दतोदा, मिर्जापुर, रालामंडल, नैनोद, मगरखेड़ा, शकरखेड़ी, कनाडिय़ा, बेटमा, गवला जैसे गांवों के किसान फूलों की खेती कर रहे हैं। लेकिन अब इनकी संख्या में कमी आ गई है। पहले के मुकाबले अब इंदौर में फूलों की खेती का रकबा कम हुआ है। इसका कारण यह है कि किसानों ने अपनी जमीन बेच दी है, जहां पर अब कॉलोनियां डेवलप हो चुकी हैं। हार्टिक्लचर विभाग के हैपिक्स सिस्टम से मिली जानकारी के अनुसार इंदौर में 2022-23 में फूलों की खेती का रकबा 4 हजार 768 हैक्टयर था जो 2023-24 में बढ़कर 4 हजार 825 हैक्टयर हो गया। इंदौर में पिछले साल के मुकाबले 57 हैक्टयर रकबा बढ़ने के बाद भी व्यापारियों का कहना है कि खेती का रकबा जरूर बढ़ा है लेकिन उसके मुकाबले प्रोडक्शन कम हो गया है।
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