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नगर निगम में 150 करोड़ रुपए के फर्जी बिल के घोटाले के बीच मंगलवार को महापौर पुष्यमित्र भार्गव की एक चिट्ठी से हड़कंप मच गया है। उन्होंने स्मार्ट सिटी कंपनी बोर्ड के पूर्व अफसरों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए हुए मुख्य सचिव से जांच की मांग की है।
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आरोप है कि वर्ष 2021 में अफसरों ने मनमाने तरीके से कंपनी का अनुबंध सात साल के लिए बढ़ा दिया। इसमें कोविड के 2 साल भी शामिल किए गए। यानी 9 साल की अवधि बढ़ा दी गई। कंपनी निगम को किसी तरह की रॉयल्टी भी नहीं दे रही थी, इसके बावजूद अनुबंध की अवधि को बढ़ा दिया
महापौर ने नाम लिए बिना स्मार्ट सिटी कंपनी के पूर्व अफसरों पर वेस्ट मैनेजमेंट एजेंसी नेप्रा को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है। मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी में इसकी जांच लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) से करवाने की मांग की है। नेप्रा के साथ स्मार्ट सिटी का अनुबंध वर्ष 2025 में पूरा होना था।
चार साल पहले ही अधिकारियों ने अनुबंध बढ़ाते हुए इसे वर्ष 2033 तक करते हुए कंपनी को ठेका दे दिया। महापौर ने कंपनी का अनुबंध तत्काल निरस्त करने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। कलेक्टर, निगमायुक्त और सीईओ स्मार्ट सिटी बोर्ड के पदेन सदस्य होते हैं। यह मामला वर्ष 2021 का है।
2018 में किया था अनुबंध, रॉयल्टी जमा नहीं करने पर अनुबंध समाप्त करने की थी शर्त
नेप्रा रिसोर्स मैनेजमेंट प्रालि से अक्टूबर 2018 में अनुबंध किया गया था। चिट्ठी में कहा है कि नेप्रा को 30 जुलाई 2021 तक 4 करोड़ 42 लाख 42 हजार 458 रुपए की रॉयल्टी जमा करवानी थी, लेकिन उसे वसूली तक नहीं की गई। दूसरी ओर, 27 दिसंबर 2021 को हुई बोर्ड मीटिंग में कंपनी का अनुबंध सात साल के लिए बढ़ा दिया गया।
यह अधिकारों के दुरुपयोग का मामला है। इसकी शिकायत मुख्य सचिव से की है। उनसे मामले की पूरी जांच की मांग भी की है।
– पुष्यमित्र भार्गव, महापौर
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