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Not a film story but a reality | फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि हकीकत: एक साल पहले पिता को मृत मान तेरहवीं कर दी, वे इंदौर में जीवित मिले, परिवार सहित आकर कोलकाता ले गया बेटा – Indore News

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एक बेटे के लिए इससे भावुक पल और क्या हो सकता है कि जिस पिता को दिवंगत मानकर अंतिम संस्कार की रस्म और तेरहवीं तक कर दी, वे अचानक एक साल बाद उसकी आंखों के सामने आ जाएं। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है।

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65 वर्षीय ओमप्रकाश जैसवाल निवासी मिर्जापुर (यूपी) घर से सालभर पहले रूठकर कहीं चले गए थे। कुछ समय बाद किसी ने उनके निधन की सूचना देते हुए बताया कि लावारिस मान उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया है। राहुल ने उनकी तेरहवीं कर दी थीं। गुरुवार को राहुल की जिंदगी में वह पल आ गया, जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी।

इंदौर के सामाजिक संगठन के वीडियो कॉल ने उसे पिता से दोबारा मिला दिया। पिता को देख बेटा फफक पड़ा। पिता भी बेटे, बहू और पोते-पोती को देख फूटफूट कर रोने लगे। बेटे ने जरा देर नहीं की और कोलकाता से पत्नी व बच्चों को साथ लेकर इंदौर पहुंचा व पिता को ले गया।

बोलने में दिक्कत के कारण बता न सके
ओमप्रकाश जैसवाल को सेंट्रल कोतवाली पुलिस ने रेलवे स्टेशन के पास लावारिस हालत में देख रक्त मित्र निराश्रित सेवा आश्रम भेज दिया था। दिव्यांग ओमप्रकाश गले में तकलीफ होने से ठीक से बोल नहीं पाते थे, इसलिए अपने बारे में जानकारी नहीं दे सके। आश्रम संचालक यश पाराशर ने कई बार जानना चाहा, लेकिन वे जानकारी न दे सके।

परिवार से मिलकर बोले अभी और जीऊंगा

परिवार को वापस पाकर ओमप्रकाश की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वे बोले अभी और जीऊंगा। बेटे-बहू के साथ आश्रम से लौटने के बाद उन्होंने आश्रम वालों का शुक्रिया अदा किया।

3 माह पहले मुश्किल से अपने क्षेत्र के बारे में बताया था

तीन माह पहले दोबारा पूछने पर ओमप्रकाश सिर्फ मिर्जा-मिर्जा बोल पाए। जब आश्रम वालों ने मिर्जापुर नाम लिया तो ओमप्रकाश खुश हो गए। रक्तमित्र संगठन ने यूपी के वाट्सएप ग्रुप में फोटो शेयर कर मैसेज भेजे। तीन माह बाद वहां के एक सामाजिक संगठन के ग्रुप में इनके भाई सुमित जैसवाल ने पहचान कर इंदौर के संगठन के साथी को उनके बारे में पूरी जानकारी दी।

भाई बोले बेटा तो कब से इनकी तेरहवीं भी कर चुका है

सुमित ने बताया एक साल पहले हमें यूपी के ही किसी इलाके से एक व्यक्ति ने गुमशुदगी की जानकारी पर फोन कर इनके मृत होने की सूचना दी थी। कहा था कि ये लावारिस हालत में मिले और वे उनका अंतिम संस्कार भी कर चुके हैं। तब बेटे राहुल और पूरे परिवार ने इस बात को सही मानकर उनका विधिविधान से अंतिम संस्कार कर तेरहवीं भी कर दी थी।​​​​​​​

बेटे ने वीडियो कॉल पर देखा और बिना रिजर्वेशन इंदौर आ पहुंचा

तीन दिन पहले जब बेटे को चाचा सुमित से पिता के जिंदा होने की खबर मिली तो वह समझ नहीं सका। कोलकाता से उसने इंदौर के आश्रम में रह रहे पिता से वीडियो कॉल कर बात करनी चाही। इंदौर से यश ने वीडियो कॉल पर बेटे राहुल को पिता से बात करवाई तो वह खुशी से झूम उठा। राहुल तत्काल कोलकाता से जनरल डिब्बे में पत्नी बच्चों के साथ इंदौर आ गया और पिता के पैर पूजकर उन्हें तिलक, लगाकर मिठाई खिलाकर ससम्मान साथ ले गया।​​​​​​​ ​​​​​​​

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