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सिंधी समाज की प्रतिष्ठित संस्था सिंधी सेंट्रल पंचायत ने समाज के पारिवारिक विवादों को थाने एवं कोर्ट तक पहुंचने से रोकने के नया कदम उठाया है। पंचायत पारिवारिक विवादों में हस्तक्षेप करती है और उन्हें थाने या कोर्ट तक पहुंचने से पहले ही सुलझाने के प्रया
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पंचायत कमेटियां अपने मोहल्लों में सिंधी परिवार में पति-पत्नी, सास-बहू या भाई-भाई के बीच चल रहे विवाद और कोर्ट पहुंच चुके मामलों में काउंसलिंग कर उन्हें सुलझाएंगी। जिन विवादों में लोग कोर्ट या थाने जाने की तैयारी कर रहे हैँ, उन्हें समझाइश देकर रोकें। इसके लिए जरूरत पड़ने पर कमेटी महिला काउंलसर, वकील भी निःशुल्क उपलब्ध कराएंगी। इसरानी ने बताया कि कमेटी के पास हर साल 20 से 25 मामले आते हैं। इनमें ज्यादातर मामले पति-पत्नी के बीच आए दिन होने वाले विवाद के होते हैं, जो तलाक तक पहुंच चुके हैं।
इसरानी बताते हैं कि ऐसे विवादों को खत्म करने के लिए काउंसलिंग करते हैं। सास-बहू को भी तमाम तरीकों से समझाइश दी जाती है। कई मामले कोर्ट से भी वापस करा कर सुलझाए जा चुके हैं। भाइयों के बीच संपत्ति के भी कई मामले बुजुर्गों को बिठाकर हल कराए जाते हैं। उन्होंने बताया जाता है कि छोटी-छोटी बातों को तूल ना देकर आपस में कैसे स्वयं सुलझाएं।
इस तरह समझाते हैं
कमेटी के अध्यक्ष तनवानी ने बताया कि मोहल्ला पंचायतों द्वारा परिवारों को बताया जाता है कि कोर्ट में मामला ले जाने पर पैसे भी बहुत खर्च होंगे, वकील को भी काफी धन देना पड़ेगा और फैसला कितने साल में होगा, पता नहीं। इसलिए समझौता कर लें तो दोनों पक्षों के लिए बेहतर होगा। सलाहकार इसरानी ने बताया कि हर साल 25 मामले आते हैं, जिनमें से 20 से 22 पारिवारिक विवाद के मामले आपसी सहमति से सुलझाए जाते हैं।
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