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क्लीन स्वीप वाले लोकसभा परिणामों से यह तस्वीर भी तकरीबन साफ हो गई है कि केंद्र में इस बार मप्र का वजन बढ़ने वाला है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और फग्गन सिंह कुलस्ते के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा जल्द ही दिल्ल
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पिछली मोदी कैबिनेट में मप्र से अधिकतम पांच लोगों (नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, फग्गन सिंह कुलस्ते, वीरेंद्र कुमार खटीक और प्रहलाद पटेल) को जगह मिली थी। इस बार यह संख्या एक बढ़ सकती है। हालांकि यह सब केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर करेगा, क्योंकि इस बार भाजपा के साथ एनडीए के बाकी घटक दलों को भी तवज्जो मिलेगी। दूसरी तरफ मप्र में संगठनात्मक फेरबदल इसलिए भी होना है, क्योंकि वीडी शर्मा के अध्यक्षीय कार्यकाल का पांचवां साल शुरू हो गया है। फरवरी 2023 में उनका निर्वाचित कार्यकाल पूरा हो चुका है। चूंकि विधानसभा चुनाव थे, इसलिए दिल्ली ने कोई बदलाव नहीं किया।
विधानसभा के बाद तीन महीने के अंतराल में लोकसभा चुनाव भी शुरू हो गया। इसीलिए यह बदलाव अब जल्द होने की संभावना है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि दिल्ली जल्द ही संगठन के चुनाव का ऐलान कर सकती है। ऐसे में वीडी शर्मा प्रदेश अध्यक्ष पद से हटेंगे। यानि उनका दिल्ली जाना तय है। प्रदेश अध्यक्ष पद पर बदलाव होता है तो संगठन के नीचे की टीम भी फेरबदल के चक्कर में आएगी।
- पिछली केंद्रीय कैबिनेट में 5 मंत्री मध्यप्रदेश के थे
महिलाओं की दावेदारी इसलिए भी
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने छह महिलाओं (हिमाद्री सिंह, लता वानखेड़े, सावित्री ठाकुर, अनिता नागर सिंह चौहान, संध्या राय और भारती पारधी) को टिकट दिया। वे सभी जीत गईं। टिकट देने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़ी वजह थे। छह लोकसभा सांसद के साथ दो महिलाएं (कविता पाटीदार व सावित्री वाल्मीक) राज्यसभा में भी हैं। इसलिए केंद्र में जाने वाली महिलाओं की दावेदारी इस बार बढ़ गई है।
ओबीसी दौड़ में पिछड़ेंगे गणेश, गुर्जर
केंद्र जाने वालों में आलाकमान ने यदि ओबीसी कोटा लगाया तो शिवराज सिंह चौहान के सामने पांच बार के सांसद गणेश सिंह और किसान नेता व राज्यसभा सदस्य बंशीलाल गुर्जर पिछड़ जाएंगे। शिवराज सिंह को पूर्व मुख्यमंत्री के नेता केंद्र में बड़ी जवाबदारी भी दी जा सकती है। यह कैबिनेट के साथ संगठन की भी हो सकती है। ज्यादा संभावना इस बात की है कि शिवराज सिंह को एनडीए सरकार में कोई अहम मंत्रालय मिलेगा।
वीरेंद्र खटीक हो सकते हैं बाहर
मौजूदा मोदी कैबिनेट में टीकमगढ़ से सांसद वीरेंद्र कुमार खटीक का पत्ता कट सकता है। वे 2024 में आठवीं बार सांसद चुने गए हैं। पिछली केंद्र सरकार में वीरेंद्र कुमार पांच केंद्रीय मंत्रियों के साथ शामिल रहे। बाद में विधानसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय मंत्री रहे नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल को आलाकमान ने मप्र भेज दिया। दोनों विधानसभा का चुनाव लड़े और जीत गए। इसके बाद मोदी कैबिनेट में तीन ही मंत्री रहे। इस बार दलित कोटे से वीरेंद्र कुमार का दावा कमजोर होगा। हालांकि सूत्रों का कहना है कि उनके नाम की चर्चा जरूर होगी।
शिवराज, फग्गन, खटीक सबसे सीनियर
18वीं लोकसभा में मप्र से सबसे सीनियर सदस्य शिवराज सिंह चौहान होंगे। शिवराज मुख्यमंत्री चुने जाने से पहले 1991 से 2004 तक लगातार पांच बार विदिशा लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं, यह उनका 6वां कार्यकाल होगा। उनके बाद सीनियरिटी में दलित नेता वीरेंद्र खटीक दूसरे और आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते तीसरे स्थान पर होंगे। वीरेंद्र खटीक 8वीं बार और फग्गन 7वीं बार लोकसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए हैं। दोनों का संसदीय कार्यकाल 1996 से ही शुरु हुआ था। उनके बाद सीनियरिटी में सतना सांसद गणेश सिंह होंगे जो पांचवी बार चुने गए हैं।
आदिवासी वर्ग में आगे रहेंगे फग्गन सिंह कुलस्ते… आदिवासी वर्ग से केंद्र में प्रतिनिधित्व पाने वालों में फग्गन सिंह कुलस्ते आगे रहेंगे। वे सातवीं बार के सांसद हो गए हैं। उनके बराबर कोई दूसरा नेता नहीं है। कुलस्ते मोदी कैबिनेट में प्रमुख मंत्रालय संभाल चुके हैं।
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