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जिसके सिर पर मालिक या गुरु का हाथ होता है उसे कोई डूबा नहीं सकता। इसी तरह संसार के दलदल में फंसे मनुष्य के सिर पर भी किसी गुरु का हाथ होना चाहिए। गुरु सदैव निष्पक्ष भाव रखते हैं। आप जिस चीज में आसक्ति रखोगे उसकी उसी रूप में उत्पत्ति होती है। किसी के
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प्रवचन देते आचार्यश्री।
श्री नीलवर्णा पार्श्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट अध्यक्ष विजय मेहता एवं कल्पक गांधी ने बताया कि प्रवचन के पूर्व आचार्यश्री के सान्निध्य में सभी श्रावक-श्राविकाओं ने प्रेम सूरीरश्वर मसा को नमन करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। आचार्यश्री के साथ ही प्रेम सुरीश्वर के बारे में जैन संत जिनागम विजयजी ने संस्कृत में लब्धि दर्शन, विजयजी ने गुजराती में, ज्ञान रुचि विजयजी ने अंग्रेजी में तथा ज्ञानबोधि विजयजी ने हिंदी में अपने विचार भी व्यक्त किए।

गुणानुवाद सभा में बड़ी संख्या में शामिल हुए समाजजन।
सही दिशा में कदम विषय पर होंगे प्रवचन
मंगलवार 4 जून को अन्नपूर्णा रोड़ स्थित देवेंद्र नगर में आचार्य विजय कुलबोधि सूरीरश्वर मसा सही दिशा में कदम विषय पर सभी श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचन देंगे। इसके साथ 5 से 9 जून तिलक नगर श्रीसंघ, 10 से 12 जून अनुराग नगर श्रीसंघ, 13 से 14 जून विजय नगर श्रीसंघ, 15 से 16 जून सुखलिया, 17 से 18 जून क्लर्क कालोनी, 19 से 21 जून वल्लभ नगर, 22 से 23 जून पत्थर गोदाम, 24 से 29 जून रेसकोर्स रोड़, 30 जून राऊ एवं 1 से 3 जुलाई को जानकी नगर श्रीसंघ में आचार्यश्री का मंगल प्रवेश होगा।
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