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बड़वानी केंद्रीय जेल बड़वानी में गायत्री परिवार और जेल प्रशासन के संयुक्त निर्देश में आयोजित बंदी सुधार में आध्यात्मिक प्रयोग में आत्म परिष्कार जीवन साधना बारह दिवसीय शिविर का समापन शनिवार को किया गया। समापन अवसर पर जेल अधीक्षक शैफाली तिवारी, जिला समन
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विवेकानंद ने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि मिट्टी को परिष्कृत करे तो वह चांदी बन सकती है। बंदी नहीं तुम तपस्वी है साधना करने आए हो प्रारब्ध काटने आए हो गायत्री जप कर विचार और व्यवहार में अच्छे बन जाओ यही आत्म परिष्कार है जीवन की।
जेल अधीक्षक शैफाली तिवारी ने बंदी भाईयो के शिविर क्रिया कलापों से क्या सीखा विचार जाने और खुशी व्यक्त करते हुए कहा की शिविर के द्वितीय सत्र का सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है। शिविरार्थी बंदी अनुशासन में रह रहे है। रोजाना सुबह 5 बजे उठकर ध्यान प्राणायाम करते है। गायत्री मंत्र लिख रहे है। पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य पुस्तकालय जो स्थापित की गई पुस्तकें पढ़ते है। बहुत कुछ विचार और व्यवहार में सुधार आया।
गायत्री परिवार के शिविर से आत्म बल और बौद्धिक विकास बंदीओ में आया है। जिला समन्वयक महेंद्र भावसार ने गुरुदेव, वंदनीय माताजी की सूक्ष्म उपस्थिति में मंगलमय जीवन की कामना की ओर अच्छे नागरिक बन कर फिर से समाज के साथ परिवार के साथ अपना जीवन बिताए। व्यसन मुक्ति अभियान को भी संचालित किया व्यसन से होने वाले दुष्परिणाम शिविर में बताए गए।
बंदी भाईयों ने जेल परिसर में व्यसन मुक्ति के नारे लगाकर हाथों मे पोस्टर थाम कतार में चल रहे थे। गोपाल कृष्ण प्रजापति द्वारा जेल प्रशासन, गायत्री परिजन और शिविर में बौद्धिक विचार देने वाले प्रदाता समाज सेवियों का आभार व्यक्त कर शांति पाठ किया।



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