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Bhopal: Auqaf-e-shahi Is Trying To Cover Up Its Mistakes, But How Will It Forget Violation Of The Lease Act – Amar Ujala Hindi News Live

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Bhopal: Auqaf-e-Shahi is trying to cover up its mistakes, but how will it forget violation of the lease act

किरायादारी के लिए पट्टा अधिनियम का पालन नहीं किया गया है।
– फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार


शाही कब्रिस्तान को किराए पर दे दिए जाने के मामले में घिरी औकाफ ए शाही अब गलती पर पर्दा डालने गलियां खोजता नजर आ रहा है। कब्रिस्तान के खसरे से हटकर बताई जाने वाली जगह, वाकिफ की मंशा और दी जाने वाली सफाई में वक्फ अधिनियम के साथ लागू पट्टा अधिनियम को भुला दिया गया है। सरकारी आदेशों की इस अवहेलना से जहां औकाफ ए शाही को होने वाली बड़ी आमदनी का रास्ता रुका है, वहीं सरकारी खजाने को भी नुकसान पहुंचाया गया है।

औकाफ ए शाही ने बड़ा बाग स्थित शाही कब्रिस्तान की करीब 25 हजार स्क्वायर फीट जगह शर्मा कंस्ट्रक्शन कंपनी को 11 महीने के किराए पर दी है। जानकारी के मुताबिक एक लाख दस हजार रुपये महीने पर की गई इस किरायादारी के लिए पट्टा अधिनियम का पालन नहीं किया गया है। जबकि वक्फ के संशोधित अधिनियम के प्रावधानों में इसकी अनिवार्यता की गई है। सूत्रों का कहना है कि इस प्रक्रिया से औकाफ ए शाही को तय की गई किरायादारी से अधिक आमदनी हो सकती थी।

यह होती प्रक्रिया

जानकारों का कहना है कि शासन द्वारा वक्फ संपत्तियों के मामले में लागू किए गए पट्टा अधिनियम के तहत किसी भी संपत्ति की किरायादारी कलेक्टर गाइड लाइन के मुताबिक होना है। इसके साथ ही ऐसी सभी प्रक्रिया के लिए अखबारों में सार्वजनिक सूचना का प्रकाशन अनिवार्य है। तय किए गए रेट पर निविदाएं आमंत्रित कर अधिकतम राशि वाले को किरायादारी किया जाना नियमसंगत माना गया है।

कर दी गुपचुप किरायादारी

औकाफ ए शाही की तत्कालीन कमेटी के सचिव आजम तिरमिजी ने शाही कब्रिस्तान के एक हिस्से की गुपचुप किरायादारी कर दी है। उनको कमेटी से हटाए जाने के बाद नवागत सचिव सिकंदर हफीज ने भी इस प्रक्रिया को उचित करार दे दिया है। 

दी जा रही यह सफाई

शाही कब्रिस्तान को किराए पर दिए जाने को लेकर शहर में मची खलबली के बाद औकाफ ए शाही बचाव मुद्रा में आ गया है। उनके द्वारा दी जा रही सफाई में बताया जा रहा कि बड़ा बाग स्थित यह स्थान वजीर बाग के रूप में वक्फ रिकॉर्ड में दर्ज है। 35 एकड़ 17 डेसिमल की इस जगह में से महज 4.5 एकड़ जगह शाही कब्रिस्तान के लिए अंकित है। जबकि बाकी जगह बागों के रूप में दर्ज है। औकाफ ए शाही बता रहा है कि शर्मा कंस्ट्रक्शन कंपनी को दी गई जगह कब्रिस्तान की जगह से हटकर है। उनके अस्थाई निर्माण के दौरान किसी कब्र को नुकसान नहीं पहुंचाया गया है।

जो बसा एक बार, वह हुआ स्थाई

जानकारी के मुताबिक शहर में 1950 की स्थिति में करीब 187 कब्रिस्तान हुआ करते थे। जिन पर लगातार कब्जों की स्थिति ने अब यह संख्या महज 13 पर लाकर खड़ी कर दी है। वक्फ बोर्ड द्वारा बनाए जाने वाले मुतवल्ली और आसपास बसने वाले लोगों की बदनीयत से यह हालात बने हैं। वक्फ बोर्ड में प्रचलित धारा 54 के अधिकांश मामलों में भी यही बात सामने आ रही है कि जो भी व्यक्ति एक बार किसी भी हैसियत से वक्फ संपत्ति से जुड़ता है, वह यहां अपना स्थाई कब्जा ही खड़ा कर लेता है।

(भोपाल से खान आशु की रिपोर्ट)

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