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इंदौर को भले ही फ़ूड कैपिटल का दर्जा मिला है, खाद्य सुरक्षा से जुड़े एक मूलभूत मानक का उल्लंघन धड़ल्ले से किया जा रहा है। आश्चर्य तो यह है कि 56 दुकान और सराफा को ‘क्लीन स्ट्रीट फूड हब’ में स्टेनलेस स्टील से बने सुरक्षित, साफ-सुथरे चाकू या कटर के बजाय ल
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हैदराबाद के अनिरुद्ध गुप्ता ने शनिवार को इंदौर के फूड जोन में लंबी रिसर्च के बाद यह निष्कर्ष पेश किया है। गुप्ता ने इस मामले में केंद्रीय खाद्य मंत्री, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई), डब्ल्यूएचओ, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को भी इस बारे में ई-मेल किया है।

अनिरुद्ध गुप्ता
नॉन-एडिबल पेंट पहुंच जाता है खाने में
गुप्ता के अनुसार फ़ूड इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले नए ब्लेड्स में नॉन-एडिबल पेंट लगा आता है, जिससे कटिंग करने पर वो धीरे-धीरे खाने में मिलता चला जाता है। एक समय बाद जब यह पेंट पूरी तरह से निकल जाता है तब इन ब्लेड्स पर जंग लगाना शुरू हो जाता है। इससे भोजन की शुद्धता और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती है। यह संक्रमण वाले रोगों को भी न्योता देता है।
सख्त नियम और जांच जरूरी
अनिरुद्ध गुप्ता का कहना है कि जंग लगे चाकुओं और कटर के खाद्य पदार्थों की कटिंग में इस्तेमाल से गंभीर रोगों का खतरा हो सकता है। स्टेनलेस स्टील से बने चाकू और कटर इस संक्रमण के खतरे को कई गुना कम कर देते हैं। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण उपकरणों में अनुचित स्वच्छता से जुड़े खाद्य-जनित बीमारियों के बारे में चौंकाने वाले आंकड़ों पर प्रकाश डाला, जो कि स्टेनलेस स्टील ब्लेड के उपयोग को अनिवार्य करने वाले नियामक उपायों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।
लो मेंटेन्स और सेफ
गुप्ता ने कहा कि स्टेनलेस स्टील की सपाट सतह बैक्टीरिया के विकास को रोकती है। वहीं जहां तक धार बनाए रखने का सवाल है, स्टेनलेस स्टील लंबे समय तक रेजर की तेज धार को बनाए रख सकता है। यानी इसे ज्यादा मेंटेंस की जरूरत नहीं होती।
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