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गर्मी के साथ आदिवासी क्षेत्र में जल संकट गहरा गया है। भगवानपुरा जनपद क्षेत्र के पलासकूट के रायटेमरी के आदिवासियों का रोज 6 घंटे का समय पानी जुटाने में बीत रहा है। लोग सुबह से ही पानी की तलाश में नालों व कुओं पर पहुंच जाते है। बैलगाड़ी पर कोठी, सिर पर
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पानी के लिए लोग पहाड़ी क्षेत्र में पैदल जोखिम के साथ पहुंच रहे हैं। पहाड़ी क्षेत्र में भीषण गर्मी के चलते फिलहाल सभी हैंडपंप व नदी नाले सूख गए हैं। महिलाओं की दिनचर्या सुबह 5 बजे से पानी के लिए शुरू होती है। पानी की चिंता लेकर सोती है। करीब 5 किलोमीटर दूर से महिलाएं सिर पर बर्तन रखकर लाती है। पानी की कमी के कारण लोग गंदा पानी भी पीने के लिए जुटा रहे हैं। इस वजह से बीमारी फैलने का खतरा भी बढ़ गया है।
बच्चे भूखे प्यासे रोने लगते हैं सरकारें नहीं सुनती है
रायटेमरी की सायनी बाई का कहना है कि पानी के लिए सुबह 5 बजे से जागना पड़ता है। जंगल में पहाड़ियों से उतरकर जोखिम उठाकर नालों कुओं पर जाना होता है। 11 बज जाते है। तब तक बच्चे भूखे प्यासे रोने लगते हैं। समस्या कई सालों से है। सरकार भी हमारी कोई सुन नहीं रही है। बैलगाड़ी से 2 से 5 किलोमीटर दूर से पानी लाते हैं।
सरकारी दावा : संकट है, पर व्यवस्था की है
भगवानपुरा जनपद पंचायत के सीईओ जयेश शाह का कहना है। राय टेमरी में पेयजल की समस्या है। पीएचई के माध्यम से पानी वाले ट्यूबवेल में मोटर की व्यवस्था की है। निर्मल नीर से भी पानी की व्यवस्था की है। अगर और समस्या आएगी तो दिखाएंगे।




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