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मेरी मेरी ना तो इच्छा थी और न ही मन था। मैं अपनी मर्जी से ये कदम उठा रहा हू। मैं नहीं चाहता था ये कदम उठाना। मेरे भी सपने थे जो मैं पूरे करना चाहता था। पर सपने तो सपने होते है। आंख खुलने के बाद कहां पूरे होते हैं। ऐसे ही मेरे भी सपने थे। पर आंख खुलने
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ये इमोशनल खत 24 साल के तरुण के पास मिला है। उसकी लाश फांसी
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