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आशीष उरमलिया, जीवन सांकला। गरोठ2 मिनट पहले
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‘आरोपियों को मेरे बेटे-बेटी और पति की अस्थियां समेटने के लिए आना चाहिए। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक मेरे परिवार का अंतिम संस्कार पूरा नहीं माना जाएगा।’
मंदसौर के गरोठ के रुंडी गांव की रहने वाली नेनी बाई की
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