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Pmay Pradhanmantri Aawas Yojana Fraud Indore News – Amar Ujala Hindi News Live

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इंदौर की योजना में बने फ्लैट।
– फोटो : न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर

विस्तार


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी आवास योजना (pradhanmantri aawas yojana) में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। भारत में हर नागरिक को सस्ता घर देने के लिए शुरू किया गया यह प्रोजेक्ट अब सवालों के घेरे में आ गया है। इंदौर में इस प्रोजेक्ट के तहत कई जगह जरूरतमंद लोगों को सस्ते फ्लैट दिए जा रहे हैं। इंदौर नगर निगम ने इन फ्लैट को बेचने और इनकी मार्केटिंग करने के लिए एक एजेंसी रखी जिसने खुद यह फर्जीवाड़ा किया। एजेंसी ने जरूरतमंद लोगों को तय कीमत से ज्यादा में फ्लैट दिए और कई जगह तो एक ही फ्लैट कई लोगों को बेच दिए। 

महापौर पुष्यमित्र भार्गव एवं आयुक्त हर्षिका सिंह एवं जनकार्य प्रभारी राजेंद्र राठौड़ ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नगर निगम इंदौर द्वारा कई जगह पर फ्लैट विकसित किए जा रहे हैं। इसके तहत शिवालीक परिसर, सतपुड़ा परिसर, अरावली परिसर, नर्मदा परिसर एवं कावेरी परिसर पर आवासीय इकाइयां बन रही हैं। इनके मार्केटिंग एवं विक्रय के लिए एजेंसी नियुक्त की गई है। मेसर्स अप-टू-द मार्क एडवर्टाइजिंग प्रा. लि. एवं मेसर्स मिरेकल इवेंट्स ज्वाइंट वेंचर इंदौर में कार्यरत कर्मचारियों ने जरूरतमंद लोगों से फ्लैट की निर्धारित कीमत से अधिक की राशि ली। इसके साथ एक ही फ्लैट के लिए एक से अधिक व्यक्तियों से पैसा लिया। इस जानकारी के बाद एजेंसी के विरुद्ध सेन्ट्रल कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है एजेंसी से अनुबंध निरस्त कर दिया है। 

पहला केस – डेढ़ लाख रुपए अधिक लिए

नर्मदा परिसर (बड़ा बांगड़दा एक्सटेंशन) स्थित आवासीय प्रकोष्ठ क्र. ।-03/805 के हितग्राही जानकीलाल पिता गुलाबचंद सोनी से फ्लैट के निर्धारित मूल्य राशि रू. 7,00,000/- की जगह राशि रू. 8,50,000/ ली गई। यानी 1,50,000 अधिक की राशि ली गई। 

दूसरा केस – एक ही फ्लैट दो लोगों को बेच दिया

गुलमर्ग परिसर स्थित हितग्राही गीताबाई पति रामाधार सिंह राठौर को आवंटित प्रकोष्ठ क्र. बी-12/305 को गौतमसिंह पिता गंभीरसिंह पंवार से रू. 1,50,000/- नगद लेकर आवंटित कर दिया गया। इस फ्लैट की मूल हितग्राही गीताबाई द्वारा आवास पंजीयन के लिए ऑनलाइन यू.पी.आई. के माध्यम से पूर्व में भुगतान किया गया था जिसे गौतमसिंह पिता गंभीरसिंह पंवार का भुगतान दिखाकर फर्जी रसीद काटने की बात संज्ञान में आई थी। 

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