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सुनील मिश्रा. इंदौर2 मिनट पहले
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यह गृहस्थ आश्रम धर्म अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ फल प्राप्त कराता है। गृहस्थ जीवन में रहकर भी भगवान का सान्निध्य सुगमतापूर्वक प्राप्त किया जा सकता है। समाज में अधिक संख्या गृहस्थों की है। गृहस्थ अपने को परमात्मा से जोड़ना चाहता है। यह बात सोमवार को गीता भवन के प्रवचन हॉल में स्वामी वितारागानंद सरस्वती महाराज ने कही।
स्वामी जी ने कहा कि गृहस्थाश्रम व्यक्ति के जीवन का वह भाग
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