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ओजस पालीवाल. इंदौर3 मिनट पहले
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आजकल लोग समाज में एकता के बहाने वर्ण आश्रम की मर्यादा को मिटाने की कोशिश में लगे हैं तो यह बुराई एकता रूप अच्छाई के वश में आने से बुराई रूप से नहीं दिख रही है। अतः वर्ण आश्रम की मर्यादा मिटाने से परिणाम में लोगों का कितना पतन होगा लोगों में कितना असुर भाव आएगा इस तरफ कोई नहीं देखता। जैसे अर्जुन को अपनों से युद्ध करने में बुराई समझ आ रही थी, जिसे अर्जुन अच्छा मान रहा था लेकिन यह अच्छाई ही केवल देखने पर ही थी पर सत्य तो यह है कि यह बुराई ही है। स्थिति को लेकर शोक करना सुखी दुखी होना केवल मूर्खता ही है, क्योंकि परिस्थिति चाहे अनुकूल आए चाहे प्रतिकूल आए इसका आरंभ और अंत होता ही है। यह बात इंदौर के पीथमपुर बायपास रोड स्थित मां बगलामुखी सिद्ध पीठ शंकराचार्य मठ दिलीप नगर नेनौद के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी डॉ.गिरीशानंद महाराज ने शुक्रवार को प्रवचन में कही।
महाराज ने बताया कि वह स्थिति पहले भी नहीं थी और अंत में भी
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