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इंदौर4 मिनट पहले
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भागवत मनुष्य को सत्संग की ओर आगे बढ़ाकर मोक्ष की मंजिल तक पहुंचाती है। मोह का क्षय होना ही मोक्ष है। भक्ति में श्रद्धा और विश्वास अनिवार्य तत्व है। भक्ति निष्काम होना चाहिए। याद रखें कि भक्ति बाजार में नहीं मिलेगी। भक्ति अंतःकरण के साथ भगवान से प्रेम का रिश्ता जोड़ने पर ही मिल सकती है। सुख-दुख जीवन के क्रम है। भगवान और मृत्यु, दोनों को कभी नही भूलना चाहिए।
भागवताचार्य योगेश्वरदास महाराज ने यह बात कही। उन्होंने्
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