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मंदसौर के दो किसान भाइयों ने अपने बैलों का किया पिंडदान
– फोटो : अमर उजाला
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बिहार के गया, बनारस, हरिद्वार और सोरों में मनुष्य की अस्थि विसर्जन और पिंडदान होते हुए तो देखा होगा और सुना भी होगा, लेकिन हम आपको कासगंज जनपद की तीर्थ नगरी सोरों क्षेत्र में एक ऐसा अनोखा मामला बताने जा रहे हैं जो आपने कभी न देखा होगा और न सुना होगा। मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के रहने वाले किसान भवानी सिंह और उल्फत सिंह ने अपने बैलों का तीर्थ नगरी सोरों क्षेत्र में पहुंचकर गंगा नदी में अस्थि-विसर्जन और पिंडदान किया है।
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के गांव बाग का खेड़ा तहसील भानपुरा के रहने वाले दो भाई भवानी सिंह और उल्फत सिंह के दो जोड़ी बैल थे। भवानी सिंह के बैल माना की मौत तीन महीने पहले जबकि, दूसरे बैल श्यामा ने 16 दिसंबर को दुनिया छोड़ दी। उल्फत सिंह के बैल 8 वर्ष पूर्व कुएं में गिरने के कारण दुनिया छोड़ गए थे।
उल्फत सिंह भी कुएं में गिर गए थे, वह बच गए लेकिन उनके बैलों की मौत हो गई थी, लेकिन उन्होंने तब से अस्थियों को संचित करके रखा हुआ था। दोनों किसान भाइयों ने बैलों का दाह संस्कार पूरे विधि-विधान के साथ किया। इतना ही नहीं बैलों के पिंडदान के पश्चात उनका गंगोज और प्रीतिभोज का अयोजन 26 दिसंबर यानी कल मंगलवार को किया जाएगा। जिसमें रिश्तेदारों तथा गांव के निवासियों सहित तीन हजार से ज्यादा लोगों को आमंत्रित किया गया है।
बैलों को पिता के समान दिया सम्मान
तीर्थ पुरोहित उमेश पाठक ने पूरे विधि-विधान से अस्थियों विसर्जन और पिंडदान कराया। पाठक का कहना है कि पुराणों में वर्णित एक श्लोक के अनुसार सभी जीव परमात्मा के अंश हैं और अपनी आत्मा के समान हैं, इसलिए उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि खेती के यंत्रीकरण के दौर में जब लोग गोवंश त्याग करते जा रहे हैं, ऐसे में इन किसानों ने अपने बैलों को पिता के समान सम्मान दिया है।
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