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सतीश जैन.इंदौर4 मिनट पहले
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इंदौर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, माणक चौक में सोमवार को आचार्य विहर्ष सागर महाराज के प्रवचन हुए। प्रवचन में बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हुए। प्रवचन में आचार्य श्री ने कहा कि – वस्तु स्वभावो धम्मों..। वस्तु के स्वभाव को धर्म कहते हैं। दुनिया में खाने-पीने की चीजें अपने-अपने स्वभाव में है। पंचम काल आ गया तब भी उनके स्वभाव में अंतर नहीं आया। चतुर्थ काल में भी मिर्ची तीखी थी और आज भी मिर्ची तीखी ही है। किसी भी वस्तु का स्वभाव बदलने पर हम उसे नकार देते हैं, क्योंकि वह स्वभाव के विपरीत है। जिन-जिन लोगों ने अपना स्वभाव नहीं छोड़ा उन्हें किसी गुरु की जरूरत नहीं। सारे पशु-पक्षी सूर्यास्त के पूर्व यथा स्थान पर पहुंच जाते हैं। आपने जानवरों को तो अनुशासन में रखा है, किंतु आप स्वयं उसमें नहीं रहते। उनको दिन में दो बार खिलाने वाला स्वयं रात को खाता है। अनुशासन में नहीं रहते, इसलिए देव, शास्त्र, गुरु की जरूरत है।

प्रवचन के दौरान शामिल समाजजन।
आप अपने ऊपर निर्भर रहो – आचार्य श्री
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