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Ujjain:मंच पर जीवंत हुई दशरथ मांझी के संघर्षों की कहानी, साहस ने पहाड़ काट कर बना दिया रास्ता – The Story Of Dashrath Manjhi’s Struggles Came Alive On Stage

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The story of Dashrath Manjhi's struggles came alive on stage

मंच पर जीवंत हुई दशरथ मांझी के संघर्षों की कहानी
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


सांस्कृतिक संस्था अभिनव मंडल द्वारा आयोजित 38वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह के दौरान मिथिलेश सिंह द्वारा लिखे एवं निर्देशित नाट्य दशरथ मांझी की प्रस्तुति हुई। प्रयास, पटना की इस प्रस्तुति में दशरथ मांझी के जीवन में, उनकी पत्नी का गहलौर पहाड़ी पर पानी का घड़ा फूटना, उनका प्यासा रह जाना इस घटना से दु:खी होकर पहाड़ काटकर रास्ता बनाने की धुन सवार होना और एक दिन भागीरथी मेहनत और मतवाले साहस की बदौलत पहाड़ काट कर रास्ता बना देना। इन्हीं घटनाओं से दशरथ माँझी माउण्टेन मैन बन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो, एक नया इतिहास पुरूष बन गये। नाटक ने इस इतिहास के पीछे दशरथ मांझी के 22 वर्षों के अथक संघर्ष को मंच पर दिखाया।

लोगों से बातचीत कर किया गहन शोध 

अभिनव रंग मंडल प्रमुख शरद शर्मा ने बताया कि कालिदास अकादमी संकुल हाल में प्रारंभ हुए नाट्य मंचन का शुभारंभ वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनोहर बैरागी, डॉ पिलकेंद्र अरोरा, डॉ गोपाल शर्मा द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। शरद शर्मा के अनुसार नाटककार मिथिलेशसिंह ने नाटक दशरथ मांझी में सत्य के उपर कल्पनाओं का चादर ओढ़ाया, ताकि वह सुंदर दिखे। नाट्य लेखन पूर्व वे दशरथ मांझी के गांव गहलौर गये। उनके परिवार और वहां के लोगों से बातचीत कर गहन शोध किया।

काल्पनिक घटनाओं का सहारा भी लिया

शोध करने पर पता चला कभी इस इलाके में पानी का घोर अभाव था। पानी ने ही दशरथ मांझी को पहाड़ काट कर रास्ता बनाने के लिए प्रेरित किया। लेखक ने नाट्य कथा के केन्द्र में भी पानी ही रखा है। एक ऐसा व्यक्ति जो पत्नी के चोट लगने के कारण पहाड़ काटने का निर्णय लेता है। यह जरूर सनकी रहा होगा। दशरथ मांझी के चरित्र को गढ़ने में नाटककार निर्देशक ने उनके सनकिया स्वभाव को जीवंत करने के लिए कुछ काल्पनिक घटनाओं का सहारा भी लिया। मगर निर्देशक की कल्पनायें सच के बहुत करीब है।

मंच पर दशरथ मांझी की भूमिका

नाटक के चरित्र, उसके परिवेश को जीवंतता प्रदान करने के लिए उस समाज की वेश-भूषा, हाव-भाव और वहाँ की भाषा मगही रखा है। पहाड़ संकेत के रूप में ही मंच पर उभरता है। इस नाट्य लेखन-निर्देशन को मंच पर जीवंत करने में कलाकार/तकनीशियन साथ ही देश के नामचीन रंग निर्देशक संजय उपाध्याय का संगीत और महान चित्रकार पद्मश्री प्रो श्याम शर्मा की मंचीय कल्पनाशीलता का बहुत बड़ा योगदान रहा है। 1 घंटे 35 मिनट की अवधि के नाटक में मंच पर दशरथ मांझी की भूमिका उदयकुमार शंकर ने निभाई।

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