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Who Will Be The Cm:सीएम के चेहरे पर सस्पेंस कायम, पर्यवेक्षक होंगे तय, रविवार तक आएगा कोई एक नाम – Who Will Be The Cm: Suspense Remains On Cm’s Face, Observers Will Be Decided, One Name Will Come By Sunday

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Who Will Be The CM: Suspense remains on CM's face, observers will be decided, one name will come by Sunday

शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर (फाइट फोटो)
– फोटो : एएनआई

विस्तार


मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान हुआ और तीन दिसंबर को नतीजे आए। भाजपा को 230 सदस्यों वाली विधानसभा में 163 सीटें मिली हैं। कांग्रेस को 66 सीटें मिली हैं, जबकि एक सीट भारत आदिवासी पार्टी ने जीती है। भाजपा को मिले बम्पर बहुमत के बाद भी मुख्यमंत्री के चेहरे पर कोई एक नाम सामने नहीं आ सका है। भाजपा ने यह चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा था और सामूहिक नेतृत्व दिखाया था। इस वजह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी कायम रहेगी या नहीं, इसका फैसला उलझ गया है। 

मेल-मुलाकातों का दौर जारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर मंगलवार को चार घंटे बैठक हुई। इसमें मध्य प्रदेश के साथ-साथ राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री चेहरों पर भी चर्चा हुई। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह को जमीनी फीडबैक से अवगत कराया। चार घंटे चली बैठक के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला है। इस बीच, मध्य प्रदेश के नेताओं की दिल्ली दौड़ जारी है। मुख्यमंत्री पद के दावेदार समझे जा रहे कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल और वीडी शर्मा के बाद मंगलवार को मंत्री गोपाल भार्गव भी दिल्ली पहुंचे। उन्होंने नड्डा एवं शाह से मुलाकात कर एक तरह से अपना दावा पेश किया है। भार्गव नौ बार के विधायक हैं और मध्य प्रदेश के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। चुनाव प्रचार के दौरान भी वे संकेत दे चुके हैं कि इस बार वह कुछ बड़ा हासिल करने वाले हैं।  

 

तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को उतारा था चुनावों में 

भाजपा ने मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल के साथ ही फग्गनसिंह कुलस्ते का भी नाम था। कुलस्ते चुनाव हार चुके हैं, इस वजह से आदिवासी मुख्यमंत्री की संभावना क्षीण हो गई हैं। वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी बड़े अंतर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। उनके समर्थक तो मुखर हो गए हैं कि मुख्यमंत्री का पद तो विजयवर्गीय को ही मिलना चाहिए। 

 

शिवराज ही अभी सबसे आगे  

भाजपा की राजनीति पर पकड़ रखने वाले एऩालिस्ट कह रहे हैं कि इस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही मुख्यमंत्री पद के सबसे मजबूत दावेदार हैं। भाजपा की प्रचंड जीत में मोदी की छवि के साथ लाड़ली बहना योजना भी बड़ा फैक्टर रही है। शिवराज सिंह चौहान भी संकेत दे चुके हैं कि यदि पार्टी ने उन्हें जिम्मेदारी सौंपी तो वे इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने एक दिन पहले ही कहा था कि मैं न तो दावेदार था और न ही आज हूं।  

दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला 

प्रदेश में दिग्गजों को साधने के लिए इस बार भाजपा केंद्रीय नेतृत्व दूसरे राज्यों की तरफ प्रदेश में दो उपमुख्यमंत्री बना सकती है। यदि ओबीसी मुख्यमंत्री नहीं बना तो उप-मुख्यमंत्री बनना तो तय माना जा रहा है। इसी तरह आदिवासियों की हितैषी बताने में जुटी पार्टी इस वर्ग के किसी नेता को भी आगे बढ़ा सकती है। 

पूरा फोकस लोकसभा चुनावों पर

भाजपा का पूरा फोकस लोकसभा चुनावों पर है। इसे ध्यान में रखते हुए केंद्रीय नेतृत्व क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण साधने पर फोकस कर रहा है। यह फॉर्मूला मध्य प्रदेश में कारगर साबित हो सकता है। शिवराज भी बुधवार को छिंदवाड़ा जा रहे हैं। उन्होंने अपनी मंशा साफ कर दी है कि 2019 में प्रदेश की 29 में से 28 सीटें भाजपा ने जीती थी। जो छिंदवाड़ा सीट भाजपा जीत नहीं सकी थी, उस पर जीत हासिल कर नरेंद्र मोदी को मजबूत करना है।

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